आप भी इस्तेमाल करते हैं डिजिटल बैंकिंग तो ध्यान से जान लीजिए ये बातें
सरकार कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन इस सब के बीच बहुत से लोग लगातार ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं और बड़ी रकम गंवा चुके हैं।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया स्कीम के साथ अब कैशलेश अर्थव्यवस्था के विजन को भी आगे बढ़ाना शुरू किया है। बीते कुछ हफ्तों में डिजिटल बैंकिंग और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पैसे खर्च करने का मुख्य जरिया बन गए हैं। लेकिन अगर ध्यान से देखें तो भारत में डिजिटल बैंकिंग की सुरक्षा पर हमेशा से सवाल उठे हैं। ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल हैकिंग के बढ़ते मामलों के दौर में भारत में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना भी एक चुनौती है।
डिजिटल बैंकिंग और फ्रॉड दोनों का ग्राफ बढ़ा
इसी साल अक्टूबर में देश के कई बैंकों के करीब 32 लाख डेबिड कार्ड की डीटेल चोरी होने का मामला भी सामने आ चुका है। नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार इंटरनेट बैंकिंग, खरीदारी के इस्तेमाल के लिए डेबिट कार्ड, यूपीआई ऐप, मोबाइल वॉलेट और ई-वॉलेट के इस्तेमाल पर जोर दिया है। सरकार कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन इस सब के बीच बहुत से लोग लगातार ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं और बड़ी रकम गंवा चुके हैं।
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डिजिटल बैंकिंग के लिए कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के लिए ऐप्स व एसएमएस बैंकिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इन सब के इस्तेमाल के साथ खतरे भी हैं। ऑनलाइन और डिजिटल बैंकिंग में जिन समस्याओं से ग्राहकों को ज्यादा जूझना पड़ रहा है।
डिजिटल बैंकिंग में सबसे बड़ा खतरा है आईडेंटिटी चोरी
डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड का सबसे आम तरीका है। धोखाधड़ी करने वाले लोग आपके बैंकिंग डीटेल चोरी करते हैं और फिर उनका गलत इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वे मालवेयर अटैक, फर्जी ऑफर के जरिए आपकी बैंकिंग डीटेल हासिल करते हैं। लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें या किसी भी ईमेल, मैसेजिंग ऐप, एसएमएस, वायस नोट और स्काइप के जरिए अपनी जानकारी शेयर न करें। ऐसे लिंक ज्यादातर मैसेज के जरिए लोगों के पास आते हैं। ऐसे लिंक पर क्लिक करते ही मालवेयर अटैक प्रोग्राम आपके सिस्टम या फोन पर डाउनलोड हो जाता है और आपकी जानकारी चुरा लेता है।
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इन तीन तरीकों से चोरी होती है आपकी निजी जानकारी
विशिंग: चोरी के इस तरीके में एक शख्स बैंक कर्मचारी बनकर लोगों को फोन करता है और उनसे तमाम तरह की दलीलें देकर बैंकिंग डीटेल जान लेता है। ये लोग काफी ज्यादा ग्राहकों को झांसा देकर उनकी जानकारी चोरी करते हैं। इनमें से काफी लोग ज्यादा पढ़े लिखे और जानकारी रखने वाले होते हैं।
मालवेयर अटैक: इस तरीके के जरिए आपके फोन या कंप्यूटर पर कोई प्रोग्राम इंस्टाल हो जाता है और वह सारी जानकारी चुरा लेता है। इसे ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि अनजान साइट्स और ऐप्स न खोलें। सिस्टम में हमेशा सिक्योर एंटीवायरस रखें।
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यह भी है एक खतरा
सिम कार्ड स्वैपिंग: मोबाइल बैंकिंग में मालवेयर अटैक और सिम स्वैपिंग के मामले लगातार बढ़े हैं। 2014-15 में इन मामलों में इजाफा हुआ है। मोबाइल बैंकिंग के यूजर्स में इसकी तमाम सहूलियतों की वजह से बढ़ोतरी हुई है। सिम स्वैप के जरिए बैंकिंग फ्रॉड के मामले काफी बढ़े हैं। डिजिटल चोरी में माहिर लोग आपकी आइडेंटिटी चोरी करते हैं और आपका सिम ब्लॉक कराकर फर्जी आईडी पर वही सिम एक्टिवेट करा लेते हैं। इसके बाद आपके नंबर पर आने वाले वन टाइम पासवर्ड (OTP) का इस्तेमाल करके वह आपके नाम से सारे ट्रांजेक्शन करता है।
बैंकिंग फ्रॉड का शिकार होने पर क्या करें-
- जैसे ही आपको पता चले आप ऐसे किसी फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं तो तुरंत बैंक से संपर्क करें और कार्ड ब्लॉक करवा दें। इसके अलावा तुरंत बैंकिंग लॉगइन के पासवर्ड बदल दें। शिकायत का रेफरेंस नंबर नोट कर लें और उसे लगातार फॉलो करें।
- साइबर क्राइम यूनिट ऑनलाइन फ्रॉड और बैंकिंग फ्रॉड सेल भी चलाती है। अगर आप ऐसे किसी फ्रॉड का शिकार हैं तो तुरंत साइबर सेल से संपर्क करें और शिकायत दर्ज कराएं।
- बैंक, मोबाइल बैंकिंग सर्विस प्रोवाइडर, मोवाइल वॉलेट कंपनी में तुरंत लिखित शिकायत दर्ज कराएं।
- अपनी शिकायत का फॉलोअप लेते रहें। अगर बैंक की किसी प्रक्रिया के तहत आपका पैसा इधर-उधर होता है तो वो कुछ दिनों में वापस आ जाता है लेकिन फ्रॉड के मामले में आपको लगातार शिकायत ट्रेस करने की जरूरत पड़ेगी।
- अगर बैंक या वॉलेट कंपनी सहयोग नहीं करती तो आपक कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। इसके लिए आप संबंधित फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- किसी भी तरह के संपर्क और बातचीत को आधिकारिक और लिखित रूप से करें। कोर्ट में मामला जाने की स्थिति में यह सबूत होगा।
- अगर 30 दिनों के भीतर आपको जरूरी सहायता या राहत नहीं मिलती तो आप बैंकिंग लोकपाल या प्रशासनिक शिकायत जांच अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। अगर वह भी सहयोग न करे तो आप भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर से अपील कर सकते हैं।
- आपको पुलिस से संपर्क साधकर मामले हो रही कार्रवाई की जानकारी भी रखनी चाहिए और अगर वहां से सही राहत नहीं मिलती तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।