Hindenburg Report: जानें कौन है हिंडनबर्ग कंपनी जो शेयर मार्केट गिराकर कमाती है अरबों रुपये
अमेरिकी की एक रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट ने भारत के अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके बाद से अडानी ग्रुप के शेयर धड़ाम से गिर गए हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर लगातार नीचे गिरते जा रहे हैं। बाजार में तो जैसे भूचाल आ गया है। शेयरों में लगातार भारी गिरावट होने का असर गौतम अडानी की संपत्ति पर भी पड़ा है। फोर्ब्स के रियल टाइम बिलियनेयर्स इंडेक्स में गौतम अडानी चौथे पायदान से खिसककर सातवें नंबर पर पहुंच गए है। साल 2022 में गौतम अडानी दुनिया के 10 बिलियनेयर्स में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाले उद्योगपति थे। एक समय वो दुनिया के सबसे अमीरों की सूची में दूसरे नंबर पर भी पहुंच गए थे लेकिन साल 2023 अडानी और उनकी कंपनियों के लिए बुरे सपने जैसा है।
अमेरिका की एक निवेश रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया कि उनकी दो साल की जांच से पता चला है कि 17.8 ट्रिलियन रुपये (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) वाला अडानी ग्रुप स्टॉक हेराफेरी और अकाउंटिंग धोखाधड़ी योजना में शामिल है। अमेरिकी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी समूह के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी ने मोटे तौर पर 120 बिलियन अमरीकी डॉलर का शुद्ध मुनाफा कमाया है। उसके साथ-साथ उनके 7 लिस्टेड कंपनियों का स्टॉक प्राइस बीते 3 सालों में 100 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। जिसमें औसतन देखें तो 819% की बढ़ोतरी हुई है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी की संपत्तियों का विवरण है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अडानी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से जुड़े चार मामलों की जांच चल रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अडानी फैमिली के सदस्य भी मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन में शेल कंपनियों का संचालन करते हैं और इन पर भी धोखाधड़ी का आरोप है।
हिंडनबर्ग
रिसर्च
क्या
है?
हिंडनबर्ग
रिसर्च
कंपनी
कॉर्पोरेट
जगत
में
हो
रहे
गलत
कामों
को
खोजने
और
कंपनियों
के
खिलाफ
दांव
लगाने
का
काम
करती
है।
इसकी
स्थापना
साल
2017
में
नाथन
एंडरसन
(Nathan
Anderson)
ने
की
थी।
University
of
Connecticut
से
इंटरनेशनल
बिजनेस
में
ग्रेजुएट
डिग्री
प्राप्त
करने
वाले
एंडरसन
ने
एक
डेटा
कंपनी
फैक्टसेट
रिसर्च
सिस्टम्स
इंक
से
केरियर
की
शुरुआत
की।
यहां
उनका
काम
इनवेस्टमेंट
मैनेजमेंट
कंपनियों
से
संबंधित
था।
फिर
उन्होंने
साल
2017
में
अपनी
शॉर्ट-सेलिंग
फर्म
हिंडनबर्ग
रिसर्च
को
शुरू
किया
था।
हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का विश्लेषण करती है। हिंडनबर्ग में किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाकर उस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है और फिर उसे पब्लिश किया जाता है। इनमें अकाउंटिंग, मैनेजमेंट की खामियां और अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस (लेन-देन) जैसे मामलों पर गौर करके रिपोर्ट बनाई जाती है। यह प्रॉफिट कमाने के लिए टारगेट कंपनी के खिलाफ दांव लगाती है। फर्म की वेबसाइट पर लिखा गया है कि यह 'Man-Made Disasters' पर नजर रखती है।
शेयर
गिराकर
अरबों
कमाती
है
हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग
की
प्रोफाइल
के
मुताबिक
यह
कंपनी
एक
एक्टिविस्ट
शॉर्ट
सेलर
है।
अगर
हम
साधारण
भाषा
में
समझें
तो
शेयर
बाजार
में
दो
तरह
के
निवेशक
होते
हैं-
तेजड़िया
(Bull)
और
मंदड़िया
(Bear)।
किसी
शेयर
को
कम
भाव
पर
खरीदकर
उसे
चढ़ने
पर
बेचना
आमतौर
पर
शेयर
मार्केट
में
मुनाफा
कमाने
का
हिट
फार्मूला
माना
जाता
है।
कारोबार
की
दुनिया
में
इसे
लॉन्ग
पोजीशन
कहते
हैं।
यह
तरीका
आमतौर
पर
निवेशक
तब
अपनाते
हैं,
जब
मार्केट
में
तेजी
की
संभावना
होती
है।
यह
निवेशक
तेजड़िया
कहलाते
हैं।
वहीं
इसके
उलट
जब
बाजार
में
मंदी
(बियर)
की
आशंका
चल
रही
होती
है
और
जिन
निवेशकों
को
लगता
है
कि
बाजार
नीचे
जाएगा,
वे
शॉर्ट
सेलिंग
और
बेचने
का
काम
करते
हैं।
यह
मंदड़िया
अर्थात
Bear
कहलाते
हैं।
हिंडनबर्ग
कंपनी
यही
मंदड़िया
है।
शॉर्ट
सेलिंग
क्या
है?
दरअसल,
शॉर्ट
सेलर
उसे
कहते
हैं,
जो
अपने
पास
शेयर
न
होते
हुए
भी
इन्हें
बेचता
है।
(आप
सोच
रहे
होंगे
कि
ये
क्या
बात
हुई,
जब
शेयर
हैं
ही
नहीं
हैं
तो
बेचा
क्या
जा
रहा
है)।
इसे
ऐसे
समझते
हैं,
अगर
एक
शॉर्ट
सेलर
को
उम्मीद
है
कि
100
रुपये
का
शेयर
60
रुपये
तक
के
स्तर
तक
टूट
सकता
है
तो
वह
ब्रोकर
से
शेयर
उधार
लेकर
इसे
उन
दूसरे
निवेशकों
को
बेच
देगा,
जो
इसे
100
रुपये
के
भाव
पर
खरीदने
को
तैयार
हैं।
जब
यह
शेयर
60
रुपये
के
स्तर
तक
गिर
जाएगा
तो
शॉर्ट
सेलर
इसे
खरीदकर
ब्रोकर
को
वापस
लौटा
देगा
और
इस
तरह
हर
शेयर
पर
वह
40
रुपये
मुनाफा
कमा
सकता
है।
यही
काम
करने
का
आरोप
हिंडनबर्ग
पर
लगता
है।
अमेरिका
में
आपराधिक
जांच
के
घेरे
में
है
हिंडनबर्ग
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
कुछ
समय
पहले
अपनी
रिसर्च
रिपोर्ट
में
बड़ी
कंपनी
को
टारगेट
करने
के
आरोप
में
अमेरिका
के
न्याय
विभाग
ने
30
इन्वेस्टमेंट
और
रिसर्च
कंपनियों
और
उनसे
जुड़े
लोगों
के
खिलाफ
जांच
शुरू
की
थी।
जिन
कंपनियों
के
खिलाफ
जांच
शुरू
हुई
थी,
उनमें
हिंडनबर्ग
रिसर्च
भी
शामिल
है।
ये
कंपनियां
किसी
को
टारगेट
करके
उसकी
वित्तीय
रिपोर्ट
जारी
करते
थे
और
उसके
स्टॉक
पर
अपना
शॉर्ट
पोजीशन
बनाते
थे।
जब
उस
कंपनी
का
स्टॉक
वैल्यू
जितना
गिरता,
उतना
ही
ये
लाभ
कमाते
थे।
16
कंपनियों
को
डूबा
चुकी
है
ये
रिसर्च
फर्म?
साल
2017
में
अपनी
शुरुआत
के
बाद
से
ये
रिसर्च
फर्म
लगभग
16
कंपनियों
में
कथित
गड़बड़ी
से
संबंधित
बड़े
खुलासे
कर
चुकी
है
और
इसकी
वजह
से
उन
कंपनियों
को
कई
बिलियन
की
चपत
भी
लगी
है।
वहीं
Twitter
Inc.
को
लेकर
भी
इसकी
रिपोर्ट
काफी
चर्चा
में
रही
थी।
हिंडनबर्ग
कॉरपोरेट
वर्ल्ड
में
सभी
गलत
कामों
का
ट्रैक
रिकॉर्ड
रखती
है
और
फिर
इन
कंपनियों
को
शॉर्ट
करती
है।
वहीं
इस
फर्म
को
प्रॉफिट
भी
इन
टारगेट
कंपनियों
के
खिलाफ
बेट
लगाने
से
होता
है।
अडानी
ग्रुप
और
हिंडनबर्ग
रिसर्च
आये
आमने-सामने
इंडियन
एक्सप्रेस
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
हिंडनबर्ग
की
नेगेटिव
रिपोर्ट
के
सामने
आने
के
बाद
से
अडानी
ग्रुप
का
शेयर
वैल्यू
गिरता
जा
रहा
है।
इन
सभी
आरोपों
को
निराधार
बताते
हुए
अडानी
ग्रुप
के
लीगल
हेड
जतिन
जलुंधवाला
ने
बताया
कि
हिंडनबर्ग
की
रिपोर्ट
के
खिलाफ
हम
कार्रवाई
की
तैयारी
कर
रहे
हैं।
इसके
लिए
हम
अमेरिकी
और
भारतीय
कानूनों
के
तहत
कार्रवाई
करेंगे।
नाथन एंडरसन जिसकी एक रिपोर्ट से अडानी के अरबों डॉलर डूबे, 36 कंपनियों का कर चुके हैं काम तमाम
दूसरी ओर कानूनी कार्रवाई की बात पर अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने कहा कि वो अपनी रिपोर्ट के पक्ष में पूरी तरह से खड़े हैं। हिंडनबर्ग की ओर से ट्वीट कर कहा गया कि अगर अडानी ग्रुप हमारे खिलाफ सच में कार्रवाई करना चाहता है, तो उसे अमेरिका में कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। हम अमेरिका में ही काम करते हैं। हम कानूनी कार्रवाई के दौरान कई दस्तावेज की मांग भी करेंगे। हमारी रिपोर्ट आने के बाद पिछले 36 घंटों में अडानी ग्रुप ने एक भी गंभीर मुद्दे पर जवाब नहीं दिया है। हमने रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 सवाल पूछे थे जो कि हमारे मुताबिक कंपनी को अपने आप को निर्दोष साबित करने का मौका देता है।
अडानी
ग्रुप
से
पूछे
गए
88
सवाल?
रिपोर्ट
में
अडानी
ग्रुप
से
पूछे
गए
88
सवालों
में
सबसे
खास
बात
पूछा
गया
है
कि
गौतम
अडानी
के
छोटे
भाई
राजेश
अडानी
को
ग्रुप
का
एमडी
क्यों
बनाया
गया
है?
उनके
ऊपर
कस्टम
की
टैक्स
चोरी,
फर्जी
इंपोर्ट
डॉक्यूमेंटेशन
और
अवैध
कोयला
का
इंपोर्ट
करने
का
आरोप
है।
हिंडनबर्ग
ने
पूछा
है
कि
गौतम
अडानी
के
बहनोई
समीर
वोरा
का
नाम
डायमंड
ट्रेडिंग
घोटाला
में
आने
के
बाद
भी
अडानी
ऑस्ट्रेलिया
डिवीजन
का
एक्जीक्यूटिव
डायरेक्टर
क्यों
बनाया
गया
है?
ऐसे
कई
सवाल
हैं,
जिसका
जवाब
अडानी
ग्रुप
की
ओर
से
नहीं
दिया
गया
है।
अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप
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- ग्रुप के शेयर चढ़ाने के लिए परिवार के पैसों को विदेशी रूट से निवेश कराया।
- ग्रुप के शेयरों को चढ़ाने के लिए ऑपरेटरों का इस्तेमाल किया।
- पैसा गलत ढंग से बाहर भेजा और कारोबार बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया।
- परिवार के कई सदस्य जांच के घेरे में रहे, विवादों से उनका जुड़ाव है।
- कंपनी के खातों में गड़बड़ी है इसलिए 8 साल में 4 CFO ने इस्तीफा दिया।
- अडानी ग्रुप की कई कंपनियां कर्ज में डूबी है।
- कर्ज लेने के लिए बढ़े हुए स्टॉक के शेयरों को गिरवी रखा गया है।