Football World Cup: अगर आप फुटबॉल विश्व कप के दीवाने हैं तो आपको कतर से जुड़ा यह काला सच भी जानना चाहिए
विश्वकप में किसने सबसे ज्यादा गोल किये, कौन जीतेगा टूर्नामेंट जैसे सवाल हम सभी के जेहन में रहते हैं। मगर फुटबॉल विश्वकप की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों का वित्त पोषण और अवैध धर्मान्तरण का कथित खेल भी कतर में चल रहा है।
Qatar and Football World Cup: फुटबॉल का जादू दुनिया भर में सिर चढ़ कर बोलता है और जब फीफा वर्ल्डकप चल रहा हो तो इसकी दीवानगी और बढ़ जाती है। मगर कतर में फुटबॉल के मैचों के साथ एक 'काली' हकीकत भी देखने को मिल रही है, जोकि खेल की भावना के एकदम विपरीत है। दरअसल, फुटबॉल मैचों के समानांतर आतंकी और कट्टरपंथी गतिविधियों के समर्थकों को कतर बुलाकर फुटबॉल फैन्स को अवैध रूप से धर्मान्तरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सोशल मीडिया, हिंदी और अंग्रेजी में हम सभी ने ऐसी कुछ खबरों को पढ़ा और सुना होगा लेकिन भारत में प्रकाशित हो रहे उर्दू अखबारों में इन गतिविधियों को लेकर एक अजीब उत्साह बना हुआ है।
कतर द्वारा इस्लाम का प्रचार-प्रसार
कतर, एक छोटा सा देश है, मगर फुटबॉल विश्वकप जैसे बड़े आयोजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना अपने-आप में बड़ा काम है। ऐसे आयोजनों के दौरान दुनियाभर से फुटबॉल फैन्स कतर आ रहे हैं और अपने-अपने देशों की टीमों की हौसला अफजाई कर रहे हैं। मगर इन सब के बीच फुटबॉल विश्वकप का इस्तेमाल कट्टरपंथी इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए भी हो रहा है, जिसका भारत के उर्दू अखबारों ने जबरदस्त तरीके से स्वागत किया है।
उर्दू अखबारों का कहना है कि कतर में फुटबॉल विश्व कप शुरू होने से पहले गैर-मुसलमानों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया। इसके लिए कतर के अमीर (शासक) शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने इस्लाम के सभी दिग्गज धर्म-प्रचारकों को अपने यहाँ बुलाया। इन्हीं में एक नाम आतंकी और कट्टरपंथी विचारों का प्रचार करने वाले जाकिर नाइक का भी था जिसे वहां इस्लाम के एक प्रचारक के रूप में महत्त्व दिया गया।
कतर की इन कट्टरपंथी गतिविधियों पर उर्दू अखबारों का कहना है कि कतर के शासकों ने विश्वकप को दावत-ए-इस्लाम व तब्लीग के लिए एक अच्छा मौका समझा। इसलिए उन्होंने यह परवाह नहीं की कि दुनिया क्या कहेगी? उन्होंने सिर्फ यह सोचा कि अल्लाहताला उनके कारनामों से कैसे खुश होगा!
खेल के नियमों से छेड़छाड़
इन उर्दू अखबारों का कहना है कि विश्व कप के शुरूआती दिनों में ही 850 से अधिक गैर-मुसलमानों ने कतर में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। चूँकि दुनिया भर के लोग विश्व कप मैच देखने कतर आए हैं इसलिए देश भर में कुरान और हदीस के उद्धरण अनुवाद सहित सार्वजनिक स्थानों पर हजारों की संख्या में लगाये गए थे।
भारत के उर्दू अखबारों ने इस बात पर गर्व किया है कि खेल नियमों के परे जाकर भी कतर के शासकों ने इस्लामिक कानून शरियत के आधार पर पूरे टूर्नामेंट को नियंत्रित किया। फुटबॉल मैचों के शुरू होने से पहले कुरान की तिलावत (पाठ) किया गया। यही नहीं, जब भी खेल के दौरान नमाज की अजान होती, तो अजान समाप्त होने तक चलते हुए खेल को रोक दिया गया।
फुटबॉल विश्वकप में धार्मिक कट्टरता पर उर्दू अखबारों ने लिखा है कि कतर के शासकों में इस्लाम, कुरान और रसूल पाक की मोहब्बत इस कदर भरी हुई है कि उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं को पूर्ण रूप से खारिज कर दिया। कतर के अमीर ने मैचों को विशुद्ध इस्लामिक रूप इसलिए दिया, ताकि वे इस्लामिक जगत में इस्लाम के सच्चे अनुयायी के रूप में उभर सकें।
और क्या कहते हैं उर्दू के अखबार फुटबॉल विश्वकप पर
मुंबई उर्दू न्यूज (21 नवंबर) - इस अखबार का कहना है कि विश्व में पहली बार किसी फुटबॉल मैच के आयोजन की शुरुआत कुरान पाक की तिलावत से हुई है। कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व ही 850 लोगों ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने की घोषणा की। इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक ने न केवल इस मैच को देखा, बल्कि उसने गैर-मुसलमानों को इस्लाम स्वीकार कराने में बढ़-चढ़कर भाग लिया और उन्हें कलमा भी पढ़ाया।
मुंबई उर्दू न्यूज - अखबार ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि पहली बार फीफा विश्वकप मैच में इस्लामिक परंपराओं का पालन किया गया है। इस आयोजन के दौरान शराब के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध रहा और समलैंगिकों को इस प्रतियोगिता के दर्शकों में शामिल होने से रोक दिया गया। महिलाओं के लिए पूर्ण पर्दे का प्रबंध भी किया गया।
इजरायलियों को इस समारोह में भाग लेने की इस शर्त पर अनुमति दी गई कि वे स्वयं को फिलिस्तीनी नागरिक के रूप में दर्ज करवाएं। पूरे कतर में जगह-जगह इस्लाम की आयतों और हदीसों के बैनर लगे हुए थे। खास बात यह है कि नमाज की अजान शुरू होते ही जारी मैच को रोक दिया जाता था।
मुंबई उर्दू न्यूज (30 नवंबर) - इस अखबार में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, ब्राजील के एक परिवार के छह सदस्यों ने विश्व कप के दौरान इस्लाम कबूल किया। फीफा विश्वकप मैच के दौरान इस्लाम के प्रचार के लिए कुरान की आयतें और विश्वभर की भाषाओं में उनका अनुवाद इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड पर लगाया गया था।
सालार (24 नवंबर) - इस अखबार में एक विशेष लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था, 'कतर ने फीफा विश्व कप को दावत-ए-इस्लाम का जरिया बना दिया'। अख़बार ने लिखा कि कतर में इख्वानुल मुस्लिमीन (मुस्लिम ब्रदरहुड) के प्रचार का काफी असर है। इसके अलावा अल्लामा यूसुफ अल-करादावी की दावत-ए-इस्लाम से भी लोग बहुत प्रभावित हैं। यही कारण है कि कतर के शासक वर्ग ने फीफा विश्व कप को दावत-ए-इस्लाम व तब्लीग के लिए एक अच्छा मौका समझा। वहां के शासकों ने यह परवाह नहीं की कि दुनिया क्या कहेगी? उन्होंने सिर्फ यह सोचा कि अल्लाह ताला उनके कारनामों से कैसे खुश होगा।
सालार का कहना है कि कतर के शासकों ने दुनिया भर के मुसलमानों के सामने एक उदाहरण पेश किया है कि वे दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतों से प्रभावित न हों और इस्लाम की दावत और तब्लीग का खुलकर प्रयास करें। दुनिया को खुश करने के लिए वे अपने खालिक (बनाने वाले) को नाराज न करें।
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