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Camel Festival 2023: ऊंटों के डांस से लेकर ब्यूटी कॉन्टेस्ट, देखें बीकानेर के ऊंट महोत्सव में

राजस्थान का बीकानेर शहर नमकीन के स्वाद के लिये मशहूर है। मगर पिछले कुछ सालों से इस शहर को कैमल फेस्टिवल ने नयी वैश्विक पहचान दिलाई है।

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Camel Festival 2023 from camel dance to beauty contest in bikaner

Camel Festival 2023: 13 जनवरी से आयोजित होने जा रहे तीन दिवसीय ऊंट महोत्सव (Camel Festival) की तैयारी राजस्थान के बीकानेर में जोर शोर से चल रही है। राजस्थान पर्यटन निगम लिमिटेड (RTDC) के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन भी इस जश्न को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। हर साल आयोजित होने वाला यह फेस्टिवल इतना भव्य होता है जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। आखिरकार इतनी भव्यता से आयोजित होने वाला कैमल फेस्टिवल क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका इतिहास, जानते हैं विस्तार से।

क्या है कैमल फेस्टिवल

ऊंट महोत्सव (कैमल फेस्टिवल) पहली बार राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) द्वारा 2000 में आयोजित किया गया था। यह एक सालाना कार्यक्रम है जो बीकानेर में आमतौर पर जनवरी के महीने में आयोजित होता है। कैमल फेस्टिवल शुरुआत से ही बीकानेर में आयोजित किया जा रहा है। बीकानेर में एक ऊँट अनुसंधान और प्रजनन केंद्र है, जो एशिया में अपनी तरह का एकमात्र केंद्र है, जो ऊँट मालिकों को सहायता प्रदान करता है और ऊंटो की लुप्त हो रही प्रजातियों को सहेज कर रखता है। यह फेस्टिवल जूनागढ़ किले से शुरू होता है और मुख्य उत्सव स्थल डॉ. कर्णी सिंह स्टेडियम पर समाप्त होता है।

यह फेस्टिवल राजस्थानी सांस्कृतिक समृद्धि, रेगिस्तान की सुंदरता और ऊंटों के महत्व को दुनिया के सामने रखता है। ऊंट सदियों से राजस्थान की संस्कृति और लोगों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। कैमल फेस्टिवल राजस्थान की पारंपरिक कला, संगीत और पहनावे को भी बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।

कैमल फेस्टिवल के पिछले कुछ सालों के आकर्षण

जब से कैमल फेस्टिवल की शुरुआत हुई है तब से ही यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है। 2022 के ऊंट महोत्सव में लगभग 2500 देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचे थे। वर्ष 2022 के कैमल फेस्टिवल में 14 वर्षीय अस्मित अली मीर ने 18 मिनट में 900 मीटर लंबा साफा बांधा था जो लगभग 95 साफों को मिलाकर बनाया गया था। इसी साल जापान की एक महिला का ऊंट पर उसके बालों से कलाकारी करने का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था। बीकानेर कैमल फेस्टिवल में अब तक सबसे महंगे बिके ऊंट की कीमत 80 हजार रुपए थी जो वर्ष 2018 में बिका।

और क्या रहता है खास

इस फेस्टिवल का केंद्र ऊंट होते है इसलिए उनसे जुड़े कई आयोजन होते है, जैसे ऊंट दौड़, जहां सभी उम्र एवं नस्लों के ऊँट दौड़ में प्रतिस्पर्धा करते हैं, विजेताओं को पुरस्कार दिए जाते हैं। इसी प्रकार ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिता में ऊँटों को उनकी शारीरिक विशेषताओं, जैसे उनके कूबड़ के आकार, फर और समग्र रूप से आंका जाता हैं। साथ ही, ऊंटो के शरीर पर उनके बालों को काटकर अलग-अलग कलाकृतियां भी बनाई जाती हैं।

इस फेस्टिवल में ऊंट का डांस सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इन नृत्यों के अलावा अन्य प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं जैसे ऊंट पोलो और ऊँट कलाबाजी। यहां ऊंटनी के दूध की प्रतियोगिता भी होती है जिसमें तय किया जाता है कि किस ऊंटनी का दूध सबसे पौष्टिक है। इस फेस्टिवल में ऊंटों को डिजाइन और पैटर्न से सजाया जाता है, जिसे कैमल टैटू कहा जाता है।

प्रतियोगिताओं के अलावा, यह फेस्टिवल ऊंट रखने वाले लोगों के लिये उनके मवेशियों को बेचने और खरीदने का भी एक बड़ा प्लेटफॉर्म है। इसके साथ-साथ सैलानियों को लुभाने के लिये राजस्थानी सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक संगीत और लोक नृत्य प्रदर्शन और पारंपरिक खेलों को भी फेस्टिवल का हिस्सा बनाया जाता है।

BSF भी लेता है हिस्सा

BSF और ऊंट में बहुत गहरा और पुराना संबंध रहा है। पाकिस्तान की राजस्थान से लगती सीमा पर बीएसएफ के जवान ऊंटों पर बैठकर निगरानी करते हैं। आजादी से पहले इंपीरियल आर्मी में भी बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा स्थापित 'गंगा रिसाला' कैमल कॉर्प थी, जो विश्वयुद्ध के अलावा सोमालीलैंड, मिस्र और चीन दोनों में लड़ी थी। आजादी के बाद भारतीय सेना की ऊंट इकाई, 'गंगा जैसलमेर रिसाला', ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। हालांकि 1974 में कैमल कॉर्प्स की इस इकाई को पैदल इकाई में बदल दिया गया और गंगा रिसाला नाम से एक आर्टिलरी इकाई बना दी गई। इस फेस्टिवल में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) भी अपने ऊंटों के दस्ते के साथ शामिल होती है। जिसमें ऊंटो के करतब दिखाए जाते है और उनके द्वारा ऊंटो की परेड भी निकाली जाती है।

बीकानेर कैमल फेस्टिवल के अलावा राजस्थान के ये फेस्टिवल भी खास हैं

पुष्कर कैमल फेस्टिवल: पुष्कर ऊंट मेला, जो मुख्य पुष्कर मेला के साथ ही आयोजित किया जाता है, राजस्थान के पुष्कर शहर में आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। पुष्कर मेला नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दौरान होता है और इसमें बड़ा पशु मेला भी लगता है। यह दुनिया के सबसे बड़े ऊंट मेलों में से एक है।

नागौर पशु मेला: नागौर पशु मेला, जिसे नागौर मेले के रूप में भी जाना जाता है, राजस्थान के नागौर शहर में आयोजित होने वाला एक सालाना आयोजन है। यह मेला जनवरी और फरवरी के महीने में लगता है, जो आमतौर पर आठ दिनों तक चलता है। यह भारत के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है और देश के सबसे पुराने लाइवस्टॉक मार्केटों में से एक है।

मारवाड़ फेस्टिवल: मारवाड़ फेस्टिवल, जिसे मांड महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, राजस्थान के जोधपुर में हर साल आयोजित होता है। मारवाड़ फेस्टिवल अक्टूबर में मनाया जाता है और राजस्थानी संस्कृति और विरासत का उत्सव है। यह फेस्टिवल राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र को समर्पित है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और परंपरा के लिए जाना जाता है।

जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल: जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल राजस्थान के जैसलमेर में हर साल आयोजित होने वाला फेस्टिवल है जो फरवरी के महीने के दौरान मनाया जाता है और थार रेगिस्तान के लोगों की संस्कृति, विरासत और जीवन के तरीके का उत्सव है। जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल में लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन, कठपुतली शो जैसी विभिन्न पारंपरिक और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं।

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English summary
Camel Festival 2023 from camel dance to beauty contest in bikaner
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