मीनाक्षी लेखी के बयान के बाद 'किसान संसद' में पारित किया प्रस्ताव, कहा- यह किसानों का अपमान
नई दिल्ली, 22 जुलाई: दिल्ली में एक बार फिर किसान आंदोलन को लेकर राजनीति गरमा गई है। जंतर-मंतर पर कृषि कानून के विरोध में किसानों की 'किसान संसद' जारी है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने 'किसान संसद' में एक मीडियाकर्मी पर कथित हमले पर बयान देते हुए कहा कि वे किसान नहीं मवाली हैं। मंत्री के इस बयान के बाद किसान नेता भड़क गए और मीनाक्षी लेखी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 'किसान संसद' में किसानों में लेखी के बयान पर निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
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दरअसल, मीनाक्षी लेखी ने मीडियाकर्मी पर कथित हमले पर कहा था कि वे किसान नहीं हैं, वे गुंडे हैं... ये आपराधिक कृत्य हैं। 26 जनवरी को जो हुआ वह भी शर्मनाक आपराधिक गतिविधियां थी। विपक्ष ने इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। इस बयान के बाद बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मवाली नहीं किसान हैं, किसान के बारे में ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। किसान देश का अन्नदाता है।
वहीं किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि ऐसी टिप्पणी भारत के 80 करोड़ किसानों का अपमान है। अगर हम गुंडे हैं तो मीनाक्षी लेखी जी को हमारे द्वारा उगाए गए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए। उसे खुद पर शर्म आनी चाहिए। हमने उनके बयान की निंदा करते हुए 'किसान संसद' में एक प्रस्ताव पारित किया है। इसके अलावा कक्का ने कहा कि मैं पत्रकार पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमलावर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। चाहे वह किसी भी संगठन का हो। हम सुनिश्चित करेंगे कि कार्रवाई हो और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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वहीं पत्रकार नरेंद्र गोसाईं ने बताया कि कुछ लोग वीडियो बना रहे थे और मीडिया को गाली दे रहे थे। हाथापाई के बाद एक व्यक्ति ने मेरे सिर पर लाइट स्टैंड से हमला किया। उसके पास किसी तरह की आईडी थी, जिस पर किसान मीडिया लिखा था। कंफर्म नहीं है कि वो किसान ही था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह किसान आंदोलन समर्थक था।