भविष्य के कृषि वैज्ञानिक सीखेंगे अनुशासन का पाठ, देश मे पहली बार कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाएगा NCC कोर्स
रायपुर, 13 मई। छत्तीसगढ़ का इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय देश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जहां एनसीसी यानि नेशनल कैडेट कोर का कोर्स पढ़ाया जाएगा। विश्वविद्यालय नए शैक्षणिक सत्र से इसे चालू करने जा रहा है। इस प्रकार विश्वविद्यालय से संबंध शासकीय महाविद्यालयों के अलावा निजी कालेजों में वैकल्पिक कोर्स के रूप में चुन सकेंगे।

गुरुवार को एनसीसी के छत्तीसगढ़ कमांडर ब्रिगेडियर एके दास और आईजीकेवी कुलपति गिरिश चंदेल और परिषद के साथ हुई बैठक में यह बड़ा फैसला को लिया गया। विशेष बात यह है कि अब तक छत्तीसगढ़ की किसी भी यूनिवर्सिटी ने एनसीसी कोर्स शुरू नहीं किया है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी में युवाओं में अनुशासन, देशभक्ति और नेतृत्वक्षमता की भावना जगाने के मकसद से एनसीसी को वैकल्पिक कोर्स केतौर में उच्च शिक्षा में शामिल किया गया है। रायपुर का आईजीकेवी इसी दिशा में काम कर रहा था।
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अधिकारीयों ने दावा किया कि देश में अब तक एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने यह कोर्स नहीं अपनाया है। हालाँकि जम्मू, मुंबई, विद्यासागर यूनिवर्सिटी , रांची कालेज में इस पर विचार किया जा रहा है। इस कारण से एनसीसी के अधिकारी आईजीकेवी को देश में मॉडल के तौर पर प्रस्तुत करना चाहते हैं। देश के लगभग 15 लाख युवाओं को इस योजना से जोड़ने का प्लान है।
नए सत्र 2022-23 से एनसीसी की पढ़ाई 6 सेमेस्टर में करवाई जाएगी । इनमें से 4 सेमेस्टर कोर्स करने वाले छात्रों को बी-सर्टिफिकेट मिलेगा .इसी प्रकार सभी 6 सेमेस्टर पूरा करने वालों को सी-सर्टिफिकेट दिया जायेगा । उन्हें मार्कशीट में ए,बी, सी ग्रेड दिया जायेगा । एनसीसी की ओर से भी सफल छात्रों को प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
विशेष तथ्य यह है कि एनसीसी की परीक्षा के प्रश्नपत्र विश्वविद्यालय खुद ही तैयार करेगा,लेकिन प्रैक्टिकल और थ्योरिटिकल टेस्ट एनसीसी के अफसर ही लेंगे । इस पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए आईजीकेवी के कुछ अधिकारी पहले से प्रशिक्षित हैं,लेकिन एनसीसी के अधिकारी और कमांडर भी छात्रों को -सय शिक्षा देंगे। एनसीसी के छत्तीसगढ़ प्रमुख ब्रिगेडियर एके दास का कहना है कि आईजीकेवी देश में पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जो एनसीसी का पाठ्यक्रम प्रारंभ कर रहा है। मुझे विश्वास है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रेरित होकर भविष्य में सभी यूनिवर्सिटी और कालेज इसे अपनाएंगे।
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