Chhattisgarh:पराली की समस्या से निपटने अनूठी पहल, जमीन को उपजाऊ बनाने किसान कर रहे हैं पैरादान
दिल्ली और उससे जुड़े राज्यों में पराली की समस्या काफी देखी जाती है,लेकिन छत्तीसगढ़ में इस पराली यानि पैरा नहीं जलाया जाता।
छत्तीसगढ़ में पराली की समस्या के निदान के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुझाये उपाय का लाभ दिखने लगा है। प्रदेशभर में भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाने और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर किसानों द्वारा लगातार पैदादान किया जा रहा है। पूरे छत्तीसगढ़ के किसान गौठानों में पैरादान कर रहे हैं। इसी कड़ी में महासमुंद जिले में अब तक 93 हजार क्विंटल (93 टन) से अधिक का पैरादान गौठानों में किया गया है।जिले के 52 गांवों के 127 किसानों ने अब तक 93.76 टन पैरा गौठानों में दान किया है।
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी अंतर्गत जिले के ग्रामों में बने गौठानों में पशुओं को पर्याप्त चारे की व्यवस्था के लिए पिछले वर्ष की भॉति इस वर्ष भी किसान स्वयं आगे आकर फसल कटने के बाद पैरा दान कर रहें हैं। इसके लिए विभागीय अमलों के द्वारा किसानों से अपील भी की जा रहीं हैं। किसानों के द्वारा दान की गई पैरा को गौठान में संग्रहित कर व्यस्थित तरीके से रखा जा रहा है, ताकि लम्बे समय तक पशुओं को चारा मिल सके।
महासमुंद
के
प्रभारी
उप
संचालक
कृषि
विभाग
ने
बताया
कि
गांवों
में
ग्रामीणों
की
बैठक
लेकर
पैरादान
के
लिए
अपील
की
जा
रही
हैं।
इससे
प्रेरित
होकर
किसान
गौठानों
मे
पैरा
उपलब्ध
करा
रहे
है।
सभी
विकासखण्ड
स्तरीय
अधिकारी-कर्मचारियों
एवं
ग्राम
स्तर
के
अधिकारी
को
निर्देशित
किया
है।
पशुपालन
विभाग
के
अधिकारी
एवं
ग्राम
पंचायत
सचिव,
ग्राम
पंचायत
सरपंच/उप
सरपंच/पंच
तथा
रोजगार
सहायक
से
संपर्क
कर
अपने
अधीनस्थ
क्षेत्र
के
पैरा
को
गौठानों
में
जन
सहभागिता
को
बढ़ावा
देते
हुए
पैरादान
के
माध्यम
से
गौठानों
में
चारे
की
व्यवस्था
सुनिश्चित
कराने
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
जिले
के
गौठान
क्षेत्र
के
आसपास
के
गांव
के
किसानों
को
खुद
से
आगे
बढ़कर
पैरादान
करने
के
लिए
प्रेरित
किया
जा
रहा
है,
ताकि
गौठानों
में
पशुओं
के
लिए
वर्ष
भर
चारा
उपलब्ध
रह
सके।
महासमुंद
के
विभिन्न
गांवों
में
बेलर
मशीन
द्वारा
भी
पैरा
कृषकों
द्वारा
गौठानों
मे
दान
किया
जा
रहा
है,
जिसे
गौठानों
में
सुरक्षित
रखा
गया
है।
हार्वेस्टर
से
फसल
कटाई
के
बाद
पैरा
एकत्रित
करने
में
अधिक
मजदूरी
लगने
के
कारण
खेतों
में
ही
किसान
पैरा
जला
देते
है,
जिससे
भूमि
की
उर्वरा
शक्ति
कम
हो
जाती
है,
पैरा
जलाने
पर
सरकार
ने
पूरी
तरह
प्रतिबंध
लगाई
है।
इसके
विकल्प
के
रूप
में
बेलर
मशीन
से
पैरा
एकत्रित
करने
का
दोहरा
लाभ
है
एक
तो
प्रदूषण
से
मुक्ति
और
सरकार
की
महत्वपूर्ण
योजना
नरवा,
गरूआ,
घुरूवा
एवं
बाड़ी
के
तहत
गौठान
ग्राम
के
लिए
आसानी
से
पैरा
भी
उपलब्ध
हो
जा
रहा
है।
राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजना एनजीजीबी के प्रचार-प्रसार के लिए कृषि विभाग की प्रेरणा से पशुचारा हेतु किसानों द्वारा पैरा को दान किया जा रहा है, कुछ किसानों द्वारा उनके खेतों में बेलर मशीन द्वारा पैरा एकत्रित कर स्वयं के ट्रैक्टर ट्राली से गौठान में इकट्ठा किया जा रहा है, इससे अन्य कृषकों को भी प्रेरणा मिले ऐसा प्रयास किया जा रहा हैं। कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर ने किसानों से अपील की है कि फसल कटने के बाद पैरा को एकत्रित करके पशुओं के लिए चारा गौठानों में दान करें।
यह भी पढ़ें Good News: छत्तीसगढ़ में बाघों की कुल संख्या हुई 6, इन्द्रावती टायगर रिजर्व में मिला बाघ