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Cryptocurrency: जानिए कैसे क्रिप्टोकरेंसी पर्यावरण के लिए हैं खतरा, क्रिप्टो माइनिंग पर उठे सवाल?

Cryptocurrency: जानिए कैसे क्रिप्टोकरेंसी पर्यावरण के लिए हैं खतरा, क्रिप्टो माइनिंग पर उठे सवाल?

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नई दिल्ली, 24 नवंबर। भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संसद में बिल लाने की बात क्या रही, पूरा क्रिप्टो बाजार धड़ाम हो गया। मोदी सरकार के इस ऐलान से बिटक्वाइंन समेत लगभग सभी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत 25 से 30 फीसदी तक गिर गई। एक ही झटके में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार गिर गया। निेवेशकों में भय का माहौल है कि आखिर उनके निवेश का क्या होगा। हालांकि पहले भी क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। पर्यावरण पर इसके असर और खतरे को लेकर भी कई बार चिंता जाहिर की गई है। टेस्ला के फाउंडर एलन मस्क भी बिटक्वाइंन की वजह से पर्यावरण पर असर वाले नकारात्मक असर का जिक्र कर चुके हैं। हम आपको बताते हैं कि कैसे ये डिजिटल करेंसी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।

 क्या होती है क्रिप्टो माइनिंग

क्या होती है क्रिप्टो माइनिंग

क्रिप्टो माइनिंग मतलब पजल्स को सॉल्व कर नया बिटक्वाइंन बनाना है। इसके लिए हाई पावर एनर्जी की जरूरत होती है। क्रिप्टो माइनर्स ब्लॉकचेन नेटवर्क पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन को वेलिडेट करते हैं, उन्हें डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में शामिल करते हैं। जिस सबमें काफी एनर्जी की जरूरत पड़ती है। इस माइनिंग में हाई पावर्ड कंप्यूटरों का उपयोग होता है, जिसमें प्रोसेसिंग में काफी एनर्जी लगती है और इसका लोड जीवाश्म ईंधन पर पडता है। बिटक्वांइन के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

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 बिटक्वाइंन के लिए इस्तेमाल बिजली यूक्रेन के बराबर

बिटक्वाइंन के लिए इस्तेमाल बिजली यूक्रेन के बराबर

आपको बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में हाई पावर्ड कंप्यूटरों का उपयोग होता है, जिसके प्रोसेसिंग में काफी एनर्जी लगती है। ये मुख्यरूप पर कोयले पर निर्भर करती है। अगर डॉएच बैंक की रिपोर्ट को देखें तो बिटक्वाइंन माइनिंग में एक साल में जितनी बिजली लगती है, वो यूक्रेन जैसे देश के बराबर है। वहीं इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए एक साल में स्विट्जरलैंड जैसे देश के बराबर ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं।

 कार्बन फुटप्रिंट का आंकड़े चौंकाने वाले

कार्बन फुटप्रिंट का आंकड़े चौंकाने वाले

इन क्रिप्टोकरेंसी से जनरेट इलेक्ट्रिकल वेस्ट और कार्बन उत्सर्जन भी चिंता का विषय है। ये भी पर्यावरण पर बुरा असर डालते हैं। अगर आंकड़ों को देखें तो डिजीकोनोमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लक्ज़मबर्ग एक साल में जितना ई-वेस्ट बनता है, उतना ई वेस्ट बिटक्वाइंन भी तैयार करता है, जो पर्यावरण पर अनुचित प्रभाव डालता है। बिटक्वाइंन द्वारा उत्सर्जित कार्बन ग्रीन के एनुअल उत्सर्जित कार्बन के बराबर है।

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English summary
How Cryptocurrency Impact the Environment, Know what is Cryptocurrency Mining
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