कैशलेस लेनदेन फ्री, दो सालों तक MDR चुकाने से सरकार पर पड़ेगा 2,512 करोड़ का बोझ
नई दिल्लीः डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आने वाले दो सालों तक 2,000 रुपये तक की डिजिटल ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) की भुगतान सरकार करेगी। शुक्रवार को मोदी सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात की घोषणा की। अगर आप किसी भी सामान को डेबिट कार्ड, आधार के जरिए पेमेंट, भीम ऐप से खरीदते हैं तो सरकार यह पैसा बैंक और मर्जेंट को वापस करेगी।
1 जनवरी, 2018 से शुरू होगी सुविधा
इस फैसले के बाद ग्राहकों को इसका फायदा होगा। ये यह सुविधा 1 जनवरी, 2018 से शुरू हो जाएगी। आने वाले दो सालों तक व्यापारियों को ही इसका भुगतान करना होगा। इस समय देश में बैंक मर्चेंट से हर ट्रांजेक्शन पर 1.50 से लेकर 1.75 फीसदी तक वसूलता है। अगर आरबीआई मर्चेंट डिस्काउंट देता है तो इसका फायदा सीधा आम लोगों को मिलेगा।
क्या होता है MDR
जब भी कोई बैंक किसी व्यापारी से कार्ड पेमेंट सेवा के लिए लेता है तो उसे मर्चेंट डिस्काउंट (MDR) रेट कहते हैं। ट्रांजैक्शन के दौरान इसका कुछ हिस्सा सर्विस प्रोवाइडर्स ( जैसे की वीजा, मास्टरकार्ड आदि) को दिया जाता है। ज्यादातर व्यापारी एमडीआर फीस का भार ग्राहकों पर डालते हैं।
सरकार पर पड़ेगा 2,512 करोड़ का बोझ
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद सरकारी खजाने पर 2,512 करोड़ का बोझ पड़ेगा। बता दें, आरबीआई ने साल 2012 में 2,000 रुपये की डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर 0.75% MDR तय किया था। वहीं 2000 से ऊपर की ट्रांजैक्शन पर 1% MDR वसूला जाता था।
आरबीआई ने MDR रेट में किया था बदलाव
हाल ही के कुछ दिनों में आरबीआई ने MDR रेट में बदलाव किया था। आरबीआई ने एमडीआर वसूलने के लिए व्यापारियों को दो श्रेणियों में रखा है। जिन व्यापारियों का लेन-देन 20 लाख प्रतिवर्ष से अधिक है वो बड़ें व्यापारियों की श्रेणियों में आएंगे तो वहीं जिनका लेन-देन 20 लाख से कम हैं वो छोटे व्यापारियों की श्रेणी में आएंगे।
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