महंगाईः खुश हो जाइए जल्द ही बैंक लोन हो सकते हैं सस्ते
अब आपको बैंकों से लोन लेने थोड़ा सस्ता हो सकता है। इसकी पूरी संभावनाएं बन रही हैं कि आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन बैंकों से ली जाने वाली दर रेपो और सीआराआर दर में कटौती के कुछ उपाए करें। सीआरआर व रेपो दरों में कटौती आने वाले दिनों की की जा सकती है। फिलहाल सीआरआर दर 4 फीसदी और रेपो दर 8 फीसदी है।
क्यों घट सकती हैं लोन ब्याज दर
खुदरा महंगाई दर खुदरा महंगाई दर 5.52 फीसदी के स्तर पर आ गई। कहा जा रहा है कि दो साल में यह महंगाई का सबसे कम स्तर है। वहीं औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। औद्योगिक उत्पादन दर 2.5 फीसदी पर आ गई है। जबकि इससे पहले औद्योगिक उत्पादन दर नकारात्मक चल रही थी। महंगाई कम होना और औद्योगिक उत्पादन दर में बढ़ोतरी से आरबीआई पर महंगाई का दबाव कम होगा। क्योंकि महंगाई काबू करने के लिए ही आरबीआई अपनी सीआरआर और रेपो दरों में बढ़ोतरी करती है।
क्या है सीआर आर और रेपो दरों का बैंकों से रिश्ता
सीआरआर दर वह होती जिस दर के मुताबिक बैंक अपनी कुछ जमा राशि का हिस्सा आरबीआई के पास रखते हैं। आरबीआई यदि सीआरआर रेट को बढ़ाती है तो बैंकों को पहले से ज्यादा राशि आरबीआई के पास रिजर्व रखनी होगी जिसके कारण बैंको के पास कैश पहले की तुलना में कम हो जाएगा। यही कारण है कि जब कैश कम हो जाएगा तो बैंक के पास लोन देने के लिए पैसा नहीं होगा। ठीक इसके उलट अगर यह दर आरबीआई घटाता है तो लोन देने के लिए बैंकों के पास अधिक पैसा होगा। जिससे बैंकों की लागत कम होगी तो ब्याज दरें कम हो जाएंगी।
रेपो
दर
यह
वह
दर
है
जिस
दर
पर
बैंक
जरूरत
पड़ने
पर
आरबीआई
से
फंड
लेते
है।
अगर
यह
दर
बढती
है
तो
बैंको
को
पैसा
लेना
महंगा
पडे़गा।
इस
तर
के
कम
होने
या
ज्यादा
होने
पर
बैंकों
के
पास
जमा
पूंजी
पर
सीधा
असर
पड़ता
है।