Old Vs New Tax Regime: पुरानी और नई कर व्यवस्था में क्या है अंतर, कौन सी बेहतर, किसमें ज्यादा फायदा?
Old Vs New Tax Regime: सरकार ने इस बार के बजट में टैक्स स्लैब में बड़ी छूट दी है। नई कर व्यवस्था के तहत मिलने वाली छूट को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया गया है।
Old Vs New Tax Regime: वित्त मंत्री ने आयकर में छूट का बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने टैक्स स्लैब में छूट की सीमा को 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया है। वित्तमंत्री के इस ऐलान के बाद मध्यमवर्गीय लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत है। पिछले 8 साल से लोग आयकर में छूट की मांग कर रहे थे, जिसकी सौगात आखिरकार लोगों को मिल गई है। लेकिन लोगों के मन में एक बड़ा सवाल पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था को लेकर है। एक बड़ा सवाल यह जरूर बना हुआ है कि नई कर व्यवस्था को उन्हें अपनाना चाहिए या फिर पुरानी कर व्यवस्था को। ऐसे में इस बड़ी मुश्किल का आसान और सरल भाषा में जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं।
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कब लाई गई नई व्यवस्था
बता दें कि सरकार ने 2019-20 के बजट में नई कर व्यवस्था का ऐलान किया था। इस व्यवस्था में आपको पुरानी व्यवस्था की तुलना में कम कर देना होता है। इसके साथ ही हर किसी को यह विकल्प दिया गया कि वह चाहे तो पुरानी या फिर नई कर व्यवस्था को अपना सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब नई कर व्यवस्था में टैक्स रेट कम है तो क्या हर किसी को इसे अपनाना चाहिए। इस सवाल का जवाब देना सीधे शब्दों में थोड़ा मुश्किल है क्योंकि हर व्यक्ति का खर्च करने का तरीका और वित्तीय प्रबंधन अलग होता है। ऐसे में आपको अपने वित्तीय प्रबंधन के आधार पर किसी एक व्यवस्था को चुनना होगा।
पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था?
नई टैक्स व्यवस्था का उद्देश्य यह था कि आप कोई छूट नहीं मांगे इसके बदले आपको बेहतर छूट आयकर पर मुहैया कराई जा रही है। टैक्स कम देने की वजह से आम लोगों के हाथ में अधिक पैसा आना शुरू हो जाता है। इससे सामान्य जीवन बेहतर होता है। जिसकी वजह से यह लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। सेक्शन 80 , होम लोन और स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिए लोग आयकर में छूट का दावा करते थे। जोकि तकरीबन 5-6 लाख रुपए तक चली जाती थी। लेकिन सरकार ने लोगों को दूसरा विकल्प मुहैया कराया और नई टैक्स व्यवस्था के तहत उन्हें कम कर का विकल्प दिया। ऐसे में आप अपनी जरूरत के अनुसार दोनों व्यवस्था में लगने वाले टैक्स के आधार पर किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं।
नई टैक्स व्यवस्था के टैक्स स्लैब में बदलाव
नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव का वित्त मंत्री ने बड़ा ऐलान किया। आयकर में छूट की स्लैब को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया है। इस इंफ्रोग्राफिक के जरिए आप इस स्लैब में होने वाले फायदे को आसानी से समझ सकते हैं।
पुरानी टैक्स व्यवस्था में क्या बदलाव हुआ?
नई कर व्यवस्था के साथ ही पुरानी कर व्यवस्था में सरकार ने राहत दी है। अब पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख की बजाए 3 लाख तक की आय पर कर को शून्य कर दिया गया है। इस इंफोग्राफिक के जरिए आप पुरानी कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव को आसानी से समझ सकते हैं।
नई और पुरानी में क्या छूट?
- पुरानी टैक्स व्यवस्था में 70 से ज्यादा छूट हैं जोकि नई टैक्स व्यवस्था में नहीं है।
- नई कर व्यवस्था में 80सी में मिलने वाली छूट, हाउस रेंट अलाउंस, लीव ट्रैवल अलाउंस सेक्शन 80डी, सेक्शन 80ई, ईएलएसएस, एनपीएस, पीपीएफ, मेडिक्लेम, एलआईसी, बच्चों के स्कूल की फीस एजूकेशन लोन ब्याज पर छूट जैसी राहत नहीं मिलेगी। जोकि पुरानी कर व्यवस्था में है।
- नई कर व्यवस्था में सैलरी पाने वालों को लीव ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट, 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड छूट नहीं मिलेगी। जोकि पुरानी कर व्यवस्था में है।
इश्योरेंस प्रीमियम पर छूट
नई कर व्यवस्था में इंश्योरेंस की प्रीमियम पर छूट नहीं मिलेगी, लेकिन मैच्युरिटी पर मिलने वाली छूट मिलेगी। लेकिन पुरानी कर व्यवस्था में यह दोनों मौजूद है। हालांकि अगर 5 लाख से ज्यादा का प्रीमियम भरते हैं तो आपको इसका लाभ नई टैक्स व्यवस्था में नहीं मिलेगा
होम लोन पर छूट
अगर आपके पास स्वयं के कब्जे वाली संपत्ति है तो पहले उसपर 2 लाख की छूट मिलती थी, लेकिन नई कर व्यवस्था में यह छूट नहीं मिलेगी। लेकिन अगर आपका कोई होम लोन ऐसी संपत्ति में है जहां से आपको किराया मिल रहा है तो उसकी ब्याज पर आपको छूट मिलेगी। यह छूट पुरानी कर व्यवस्था में भी मिलती है।
पीपीएफ और सुकन्या संमृद्धि योजना
इसमे जो किश्तें हम भरते हैं उसपर छूट पुरानी कर व्यवस्था में मिलती है, लेकिन नई कर व्यवस्था में नहीं मिलेगी। हालांकि दोनों ही योजना में प्रीमियम जब मैच्योर होगा तो वह करमुक्त होगा। जोकि पुरानी कर व्यवस्था में भी है।
वॉलंट्री रिटायरमेंट स्कीम
नई कर व्यवस्था में अगर कोई व्यक्ति खुद से रिटायरमेंट लेता है तो उसे जो भी वित्तीय लाभ होगा उसमे 5 लाख रुपए तक छूट है।
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