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9/11 हमले के बाद वर्ल्ड ट्रेड सेंटर इतनी जल्दी क्यों गिर गया था?

9/11 हमले में विमानों से टकराने के बाद थोड़ी ही देर में ट्विन टावर भरभराकर ढह गए थे. आख़िर ऐसा क्यों हुआ था. क्या थे इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण.

By BBC News हिन्दी
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9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर
Getty Images
9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर

11 सितंबर 2011 को दो बोइंग 767 विमान न्यूयॉर्क की सबसे ऊंची 110 मंज़िला बिल्डिंग ट्विन टावर से टकराए.

पहला विमान सुबह 8.45 बजे नॉर्थ टावर से टकराया. 102 मिनट तक इसमें आग धधकती रही और फिर 10.28 मिनट पर महज़ 11 सेकेंड में यह टावर ढह गया.

पहले टावर से विमान टकराने के 18 मिनट बाद सुबह 09.03 बजे दूसरे ट्विन टावर से एक और विमान आकर टकराया. 56 मिनट तक यह टावर भी आग और धुंए से जूझता रहा, फिर अगले 9 सेकेंड में भरभरा कर गिर गया.

World Trade Center, 47th floor के लेखक ब्रूनो डेलिंगर
Getty Images
World Trade Center, 47th floor के लेखक ब्रूनो डेलिंगर

नॉर्थ टावर की 47वीं मंज़िल पर काम करने वाले ब्रूनो डेलिंगर उस घटना को याद करते हुए कहते हैं, "इमारत गिरने की आवाज़ के बाद, कुछ ही सेकेंड में वहां घुप्प अंधेरा छा गया. रात से भी घना अंधेरा, कुछ पल के लिए सभी आवाज़ें भी गायब हो गईं. मैं सांस तक नहीं ले पा रहा था."

"मुझे लगा कि मैं मर चुका हूं क्योंकि दिमाग़ किसी ऐसी चीज़ को प्रोसेस नहीं कर पा रहा था." उन्होंने 11 सितंबर के स्मारक और संग्रहालय से अपनी आपबीती में ये कहा.

9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर
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9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर

टावर गिरे क्यों?

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के सिविल ऐंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग विभाग से रिटायर्ड प्रोफ़ेसर एडुआर्डो कौसेल ने बीबीसी मुंडो को बताया, "सभी जानकारों ने इस जवाब को स्वीकार किया है कि दोनों टावर ढह गए क्योंकि यह आतंकवादी हमले का उद्देश्य था."

हमले में टावर के धराशाई होने के बाद कौसेल एमआईटी के उन विशेषज्ञों की टीम के प्रमुख थे जिन्होंने ट्विन टावर के इमारत की संरचनात्मक, इंजीनियरिंग और आर्किटेक्टचर के दृष्टिकोण से उसके गिरने का विश्लेषण किया था.

ट्विन टावर
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ट्विन टावर

घातक संयोग

2002 में एमआईटी का यह शोध प्रकाशित हुआ जो अमेरिकी सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्टैंडर्ड ऐंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) के निकाले गए निष्कर्षों से काफ़ी हद तक मेल खाता है जिन्हें उन इमारतों के गिरने के कारणों की जांच की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी और जिनके शोध के नतीजे 2008 में प्रकाशित किए गए थे.

ट्विन टावर
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ट्विन टावर

एमआईटी और एनआईएसटी दोनों ने यह नतीजा निकाला कि टावर गिरने के पीछे दो सबसे बड़े कारणों का एक साथ घटित होना था.

पहला ये कि, विमानों के टकराने से दोनों ही इमारतों को गंभीर संरचनात्मक नुकसान पहुंचा था.

दूसरा ये कि, टक्कर के बाद इमारतों में लगी आग कई मंज़िलों तक फ़ैल गई थी.

कौसेल कहते हैं, "अगर वहां आग नहीं लगती तो ये इमारतें नहीं गिरतीं."

साथ ही वे यह भी कहते हैं, "अगर वहां केवल आग लगी होती और इमारत को संचरनात्मक क्षति नहीं पहुंची होती, तो ऐसी स्थिति में भी ये ट्विन टावर नहीं गिरते."

इंजीनियर कौसेल कहते हैं, "इमारत की प्रतिरोधक क्षमता बहुत थी."

एनआईएसटी की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक दस्तावेज़ इस ओर इशारा करते हैं कि इन टावरों को बोइंग 707 विमानों से टकराव जैसी स्थिति का सामना करने को ध्यान में रख कर तैयार किया गया था, जो इमारतों के डिज़ाइन के वक़्त मौजूद सबसे बड़ा व्यावसायिक विमान था.

हालांकि, एनआईएसटी के शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उपयोग किए जाने वाले मानदंडों और विधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.

ट्विन टावर
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ट्विन टावर

ट्विन टावर्स कैसे बनाए गए थे?

जब 1960 में इन ट्विन टावर्स का निर्माण शुरू हुआ तो उनके पास एक डिज़ाइन था जो तब के मानकों पर आधारित था.

दोनों ही स्टील और कंक्रीट से बनी इमारतें थीं जिसमें लिफ़्ट और सीढ़ियां थीं.

इसकी प्रत्येक मंज़िल पर स्टील बीम क्षैतिज लगाए गए थे जो कोर से शुरू होते हुए इमारत की बाहरी दीवारों को बनाने के लिए मूल इमारत में लगे सीधे खड़े स्टील कॉलम से जुड़े थे.

स्टील बीम के समूह प्रत्येक मंज़िल के वजन को स्तंभ (केंद्र) की ओर वितरित करते थे. वहीं हर मंज़िल उसको (स्तंभ को) अलग से एक सहारा देती थी ताकि वो मुड़े नहीं. सिविल इंजीनियरिंग में इसे बकलिंग कहा जाता है.

ट्विन टावर में लगाई गई स्टील की संरचना कंक्रीट से ढकी हुई थी जो आग लगने की स्थिति में बीम को बचाने के लिए पर्याप्त थी.

बीम और स्तंभ भी एक पतली अग्निरोधक परत से ढके हुए थे.

WTC
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WTC

आग को मिली हवा

दोनों टावर एक बड़े आकार के बोइंग से टकराए थे. इन्हें बनाया गया था बोइंग 707 के टक्कर को सहने की क्षमता सहने के लायक, लेकिन उससे कहीं बड़ा बोइंग 767 टकराया.

एनआईएसटी की रिपोर्ट के मुताबिक इस टक्कर की वजह से इमारत के स्तंभ गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए जिसने स्टील बीम और स्तंभ के ढांचे को ढकनेवाले अग्निरोधक इंसुलेटर को हटा दिया.

कौसेल बताते हैं, "टक्कर से जो कंपन पैदा हुआ उसने स्टील पर लगी अग्निरोधक कोटिंग को तोड़ दिया और बीम आग के संपर्क में आसानी से आ गए."

इस तरह पूरी इमारत में आग की लपटों के लिए रास्ता बन गया और संरचना को नुक़सान पहुंचा.

जब आग फैल रही थी तो इमारत में तापमान 1000 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया और इसकी वजह से खिड़कियों के शीशे दरक गए और टूटते गए. खिड़कियों के शीशे जैसे ही टूटे बाहर से हवा अंदर आई जो आग को फैलाने में मददगार साबित हुई.

कौसेल कहते हैं, "आग को हवा मिली और वो फैल गई."

9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर
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9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर

"उड़ते बम"

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक प्रत्येक विमान में क़रीब 10 हज़ार गैलन ईंधन था (37,850 लीटर से अधिक).

कौसेल कहते हैं, "वे अपने आप में ही उड़ते बम थे."

उनमें से अधिकांश ईंधन विमान के टकराने से निकले आग के गोले के दौरान जल गया था, लेकिन साथ ही बहुत सारा ईंधन टावर की निचली मंज़िलों पर गिर गया था.

इससे आग को फैलने में मदद मिली और साथ ही और भी कई ज्वलनशील पदार्थों ने आग को भड़काने में मदद की.

एमआईटी के इंजीनियर बताते हैं कि धधकती आग से दो चीज़ें हुईं.

पहली, बहुत तेज़ गर्मी से प्रत्येक मंज़िल पर लगे बीम और स्लैब फैल गए. इसकी वजह से बीम स्लैब से अलग हो गए.

साथ ही, बीम ने फैल कर स्तंभ को बाहर की ओर धकेल दिया.

फिर एक दूसरा असर हुआ.

आग की लपटों ने बीम के स्टील को नरम करना शुरू कर दिया जिससे वो लचीले होने लगे.

इससे ट्विन टावर की मज़बूत संरचना रस्सी की तरह दिखने लगी और पूरी इमारत स्तंभ को अंदर की ओर धकेलने लगी.

कौसेल कहते हैं, "यह टावर के लिए घातक था."

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
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वर्ल्ड ट्रेड सेंटर

और फिर पूरी इमारत ढह गई

स्तंभ अब पूरी तरह से सीधे नहीं खड़े थे क्योंकि बीम ने उन्हें बाहर की ओर धकेला और फिर अंदर की ओर खींचा जिससे वो मुड़ने लगे.

इस तरह, एनआईएसटी की रिपोर्ट के मुताबिक स्तंभ धनुषकार होकर ढहने लगे. जिन बीमों से वे जुड़े थे वे उन्हें अंदर की ओर खींच रहे थे.

दूसरी ओर, कौसेल के विश्लेषण में यह जोड़ा गया है कि कुछ मामलों में बीम स्तंभों को इतनी ज़ोर से खींच रहे थे कि इससे उनके वे नट बोल्ट तक टूट गए थे जिनसे वे स्तंभों से बंधे थे. इससे ये मंज़िलें ढह गईं और मलबा उनके नीचे के हिस्से में बहुत अधिक वज़न पैदा करने लगा.

इससे पहले से कमज़ोर पड़ चुके स्तंभ पर अतिरिक्त दबाव पड़ा.

इसके फलस्वरूप पूरी इमारत भरभरा कर गिर पड़ी.

9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर
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9/11 हमले में ध्वस्त हुआ न्यूयॉर्क का ट्विन टावर

कौसेल बताते हैं, एक बार जब इमारत गिर गई तो उसकी मंज़िलों के बीच से हवा निकलकर चारों ओर तेज़ी से फ़ैली. इससे वहां आस पास बहुत तेज़ हवा चली थी. यही कारण है कि वहां धूल के बादल जैसा छा गया था.

कुछ ही सेकेंड में दोनों इमारतें गायब हो गईं, लेकिन मलबे की आग अगले कई दिनों तक जलती रही.

आज 20 साल बाद भी उस हमले की भयावहता और दर्द कम नहीं हो सका है.

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English summary
Why did the World Trade Center collapse so quickly after the 9/11 attacks?
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