व्हॉट एन आईडिया- अपने प्यार को पाने के लिये गांधीगिरी
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की खंडपीठ ने युवती के झूठ को अदालत की अवमानना मानते हुए उसे गलती का पश्चाताप करने के लिए एक अनोखी सजा सुनाई है। खंडपीठ ने युवती को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह तक प्रतिदिन राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर जाए और चार घंटे वहां पर बैठ कर प्रार्थना करे। अदालत ने युवती पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी ठोंका। यह पैसा लड़की को महात्मा गांधी ट्रस्ट में जमा करानी होगा।
पूरा मामला कुछ इस तरह है
रमेश (बदला हुआ नाम) ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि उसने एक युवती रेशमा (काल्पनिक नाम) से लव मैरिज की थी। यह बात पता चलते ही रेशमा के घर वालों ने उसे घर में कैद कर दिया। प्रेमी का कहना था की उसने प्रेम विवाह किया है और दोनों वयस्क हैं। उसकी अर्जी पर 27 नवंबर को रेशमा को अदालत में पेश किया गया। अदालत में रेशमा ने रमेश से शादी की बात से इंकार कर दिया। जबकि रमेश ने कुछ फोटोग्राफ व कागजात पेश करके बताया था कि 9 अप्रैल 2012 को उनकी शादी हो चुकी है।
रजिस्ट्रार ऑफ मैरिज के सर्टिफिकेट को भी रेशमा ने मानने से इंकार कर दिया था। रमेश ने रेशमा के धर्म परिर्वतन के संबंध में भी प्रमाण पत्र दिखाया था। जिसके बाद अदालत ने क्राइम क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया था कि वह मामले की जांच करके पता लगाए कि रमेश का दावा सच है या नहीं। इस पर रेशमा ने अदालत के सामने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी और कहा कि उसे कानून की जानकारी नहीं थी।
खंडपीठ ने कहा कि उनको इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि जो लड़की नगर निगम स्कूल में टीचर है, उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि अदालत के समक्ष झूठ बोलना कितना बड़ा अपराध है। हाईकोर्ट ने युवती को माफ़ी देने से इंकार करते हुए कहा कि उसने एक के बाद एक झूठ बोला है। इतना ही नहीं अदालत में अपना बयान दर्ज कराते समय भी झूठी शपथ ली। ऐसे में उसे माफी नहीं दी जा सकती है और दंड स्वरुप उसे एक हफ्ते गाँधी की समाधी पर रोज़ चार घंटे प्रार्थना कर प्रायश्चित करना होगा।