पांच पैसे की लड़ाई, सुलझाने में हाईकोर्ट ने 4 दशक बिताई
मामला यह है कि 41 साल पहले एक कंडक्टर ने गलती से एक महिला को 15 पैसे की बजाया 10 पैसे का टिकट दे दिया था। टिकट चेकर ने कंडक्टर की गलती पकड़ ली और इस लापरवाही के लिए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया। तब कंडक्टर ने अपनी नौकरी पाने के लिए अदालत का सहारा लिया।
श्रम अदालत व हाईकोर्ट एक बार इस मामले में कंडक्टर के पक्ष में फैसला दे चुकी है, परंतु डी.टी.सी ने फिर से न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दायर कर दी है, जिस वजह से यह मामला खिंचता चला जा रहा है। अब तो हालात ऐसे हों गए हैं कि अदालत चाहे तो भी इस कंडक्टर को नौकरी पर नहीं रखवा सकती क्योंकि वह रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुका है।
लिहाजा, अब कंडक्टर पेंशन के सुविधा की मांग कर रहा है। उसने कहा है कि कम से कम उसका मामला जब तक निपटे, तब तक उसे पेंशन की सुविधा तो दे दी जाए। जबकि डीटीसी ने कहा है कि वह इस मामले के खत्म होने तक याचिकाकर्ता को नौकरी से जुड़ा कोई लाभ नहीं देगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस समय पेंशन की योजना शुरु की गई थी, उस वक्त वह नौकरी पर नहीं था, ऐसे में पेंशन की सुविधा उसे नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अब 12 अगस्त की तारीख तय की है।