रेलवे भर्ती घोटाला : 2009 में ललन सिंह, शिवानंद तिवारी ने लालू के खिलाफ क्या किया था खुलासा ?
पटना, 21 मई। फिलवक्त रेलवे भर्ती घोटला में छापेमारी को लेकर लालू यादव सुर्खियों में हैं। लेकिन आज से 13 साल पहले जदयू के दो नेताओं ने लालू यादव पर रेलवे में गलत तरीके से नौकरी देने का आरोप लगाया था। हैरत की बात है ये है कि जो शिवानंद तिवारी आज लालू यादव का पक्ष ले रहे हैं, उन्होंने ही 2009 में ये मामला उठाया था। उस समय शिवानंद तिवारी जदयू में थे। लालू यादव 2004 में रेल मंत्री बने थे।
यूपीए की सरकार थी इसलिए ये मामला तूल नहीं पकड़ सका था। लेकिन आखिरकार सीबीआइ ने इस मामले में कार्रवाई की। शुक्रवार को सीबीआइ ने रेलवे भर्ती घोटाला मामले में लालू परिवार के 17 ठिकानों पर छापेमारी की। लालू यादव पर आरोप है कि रेलमंत्री रहते उन्होंने कई लोगों को नौकरी देने के एवज में जमीन ली है।
2009-ललन सिंह और शिवानंद तिवारी ने उठाया था मामला
मार्च 2009 में जदयू के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और सांसद ललन सिंह ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। ललन सिंह के साथ जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव शिवानंद तिवारी भी मौजूद थे। शिवानंद तिवारी 2008 से 2014 तक जदयू के राज्यसभा सांसद थे। ललन सिंह ने 2004 में बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव जीता था। इस प्रेस कांफ्रेंस में ललन सिंह और शिवानंद तिवारी ने आरोप लगाया था कि लालू यादव ने आय से अधिक सम्पत्ति केस में अपने पक्ष में गवाही देने वालों को रेलवे में नौकरी दी थी। इस मौके पर उन्होंने चार उपकृत लोगों का ब्यौरा भी पेश किया था। प्रेस वार्ता में बताया गया था, दानापुर के रामपनी यादव (मुखिया जी) सीबीआइ के गवाह थे। लेकिन बाद में वे मुकर गये और लालू यादव के पक्ष में गवाही दी। इसके बाद रामपनी सिंह के दामाद विकास, पुत्र अविनाश और भतीजा मुकेश को सेंट्रल रेलवे, मुम्बई में नौकरी दी गयी। इसी तरह पटना के नया टोला के शंकर यादव ने लालू यादव के पक्ष में गवाही दी थी जिसके एवज में उनके पुत्र को भोपाल में रेलवे की नौकरी मिली थी। इस प्रेस कांफ्रेंस में जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने का मामला भी उठा था।
सुशील मोदी का आरोप
जून 2017 में भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस वार्ता की थी। उस समय महागठबंधन की सरकार थी और वे विपक्ष में थे। तब उन्होंने दस्तावेजी सबूत दिखाते हुए कहा था कि जब लालू यादव 2008 में रेल मंत्री थे तब उन्होंने बिशुन राय नाम के एक व्यक्ति के परिवार वालों को रेलवे में नौकरी दिलायी थी और इसके बदले में पटना में उनसे जमीन ली थी। हालांकि उस वक्त जमीन की रजिस्ट्री लालू यादव के सेवक ललन चौधरी के नाम पर हुई थी। ललन चौधरी ने छह साल बाद वही जमीन राबड़ी देवी और उनकी पुत्री हेमा यादव को गिफ्ट कर दी। उस समय ललन चौधरी लालू यादव के खटाल में गायों की देखभाल करते थे। अब सुशील कुमार मोदी भाजपा के सांसद हैं। शुक्रवार को छापे के बाद उन्होंने कहा है, लालू जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने दर्जनों लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दी थी और बदले में उनसे अन्य लोगों के नाम पर जमीन दान करायी थी। फिर कुछ समय बाद अपने परिवार के नाम पर दान करवा ली।
क्या लालू यादव ने सही में रेलवे को मुनाफा दिलाया था ?
2009 में यूपीए की फिर सरकार बनी तो थी लेकिन लालू यादव मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किये गये थे। रेल मंत्री का पद ममता बनर्जी को मिला था। रेल मंत्री का पदभार लेने के कुछ दिन बाद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि जब लालू यादव मंत्री थे तब रेलवे भर्ती में गड़बड़ियां की गयी थीं। दिसम्बर 2009 में ममता बनर्जी ने रेलवे के पिछले पांच साल (लालू यादव का कार्यकाल) के काम पर लोकसभा में एक श्वेत पत्र पेश किया था। उस समय लालू यादव भी सदन में मौजूद थे। श्वेत पत्र में बताया गया था कि लालू यादव के कार्यकाल में लाभ के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया था। उस दौरान रेलवे का प्रदर्शन कमतर ही रहा था। श्वेत पत्र के मुताबित रेलवे ने सबसे अच्छा प्रदर्शन सीके जाफरशरीफ (1991-96) के मंत्री रहते किया था। तब लालू यादव ने ममता बनर्जी के इस दावे का विरोध किया था। अब इसी रेलवे भर्ती घोटले की वजह से बिहार की राजनीति में हंगामा बरपा हुआ है।
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