लालू-नीतीश के बीच हो रही है प्रेशर पॉलिटिक्स, जानिए सीक्रेट
लालू अपने पॉलिटिक्स के जरिए जहां नीतीश को दबाने की कोशिश करते हैं वहीं नीतीश उनसे एक कदम आगे चलते हुए लालू पर दबाव बना रहे हैं।
पटना। बिहार में महागठबंधन सरकार को बने हुए अभी 2 साल पूरे भी नहीं हुए कि राजनीतिक दरार दिखने लगी है। महागठबंधन में शामिल नेताओं के द्वारा कई बार ऐसे बयान दिए गए हैं जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल सी मच गई है। लेकिन महागठबंधन के नेताओं ने बड़ी बारीकी से इसे सुलझा लिया।
महागठबंधन में शामिल राज्य की दो बड़ी पार्टियां राजद और जदयू के नेता लालू और नीतीश के बीच प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल खेला जा रहा है। जिसमें लालू और नीतीश दोनों एक दूसरे से आगे बढ़ने का खेल खेल रहे हैं। दोनों नेता एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सरकार के अंदर अपने वजूद को बनाए रखने की कोशिश में लगे हुए हैं। हाल-फिलहाल महागठबंधन में प्रेसर पॉलिटिक्स के जरिए लालू और नीतीश एक दूसरे पर दबाव बनाते हुए अपनी-अपनी ताकत को लेकर पार्टियों के बीच जोर आजमाइश कर रहे हैं। इसका नमूना हाल फिलहाल राजधानी पटना की सड़कों पर देखा जा रहा है। एक तरफ जहां राजद के नेता खुलेआम सड़क पर नीतीश के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रस्ताव को ठुकराकर बीजेपी की तरफ अपना आकर्षण दिखाते हुए उनके भोज में शामिल होते हैं।
लालू अपने पॉलिटिक्स के जरिए जहां नीतीश को दबाने की कोशिश करते हैं वहीं नीतीश उनसे एक कदम आगे चलते हुए लालू पर दबाव बना रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच चल रहे इस तरह के खेल को राजनीतिक विशेषज्ञ प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब नीतीश लालू को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी कई बार महागठबंधन के इन दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक घमासान हो चुका है। हालांकि दोनों नेताओं ने बड़ी ही बारीकी से इस डैमेज कंट्रोल को संभाला भी है। जब से महागठबंधन की सरकार बनी है तब से पहली बार ऐसा देखा गया है कि राजद के प्रवक्ता और कार्यकर्ता नीतीश के खिलाफ हमला बोल रहे हैं और नीतीश प्रधानमंत्री के बुलावे पर उनके भोज में शामिल होने जाते हैं।
अब अगर बात करें बीजेपी की तो उसे इस पॉलिटिक्स से ना तो कोई नफा है और ना ही नुकसान। क्योंकि नीतीश कुमार अपने सिद्धांत के आधार पर काम करने की चर्चा करते हैं तो राजद दिन पर दिन मुश्किलों में घिरता नजर आ रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी के नेता द्वारा राजद सुप्रीमो पर लगाए जा रहे आरोप से राजद की छवि और धूमिल होती जा रही है। इसका परिणाम लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। क्योंकि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद राजद से राज्य की जनता को काफी उम्मीद थी पर ऐसा हुआ नहीं इन दिनों राजद परिवार पर कई तरह के घोटाले के आरोप लगे हैं।