60 फीट लंबा..20 टन का पुल चुरा ले गए थे चोर, अब राजद नेता समेत छह को पुलिस ने पकड़ा
60 फीट लंबा..20 टन का पुल चुरा ले गए थे चोर, अब राजद नेता समेत छह को पुलिस ने पकड़ा
रोहतास, 10 अप्रैल: 1972 में कैनाल नहर पर बना लोहे का 60 फीट लंबा और 20 टन वजनी लोहे का पुल दिनदहाड़े चोरी हो गया था। जब पुल को काटा और जेसीबी से उखाड़ा जा रहा था तब ग्रामीणों ने पूछताछ की। इस दौरान उन्होंने (चोरों) खुद को विभागीय अधिकारी बताया था। इतना ही नहीं, सबसे मजेदार बात यह है कि चोरों ने सिंचाई विभाग के कर्मचारियों से ही 60 फीट लंबे पुल को कटवाया।
पुल को काटने में लगे तीन दिन
पुल को गैस कटर से काटने और जेसीबी से उखाड़ कर गाड़ी पर लाद लिया और आराम से चलते बने। इस काम को करने में चोरों को करीब तीन दिन का समय लगा। इस दौरान सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि यह लोग असली अधिकारी है भी यहां नहीं?।
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राजद नेता समेत छह को एसआईटी ने पकड़ा
चोरों के रफूचक्कर होने के बाद पता चला कि वो सिंचाई विभाग के अधिकारी नहीं, बल्कि चोर थे। जब पुलिस के चोरी होने की जानकारी हुई तो अफसर नींद से जागे और नासरीगंज थाना पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई। एसआईटी का नेतृत्व कर रहे एसडीपीओ शिश भूषण ने बताया कि इस मामले में राजद नेता समेत छह चोरों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
सिंचाई विभाग की मिली भगत भी आई सामने
पुलिस के मुताबिक, सिंचाई विभाग के मौसमी कर्मचारी अरविंद कुमार, राजद नेता शिवकल्याण भारद्वाज, चंदन कुमार, सचिदानंद सिंह, मनीष कुमार, गोपाल कुमार को गिरफ्तार किया है। वहीं तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने बताया कि सिंचाई विभाग के कर्मचारी अरविंद के ही वाहन से पुल के सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया था। इस खुलासा के बाद सिंचाई विभाग की मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों ने दिया था पुल का हटाने का आवेदनग्रामीणों ने दिया था पुल का हटाने का आवेदन
आरा कैनाल नहर पर 1972 के आसपास लोहे का पुल बनाया गया था, जो जर्जर हो चुका था। जर्जर होने की वजह से इस पुल का इस्तेमाल भी बंद हो चुका था। विभाग ने पुल के पास ही एक कंक्रीट का समानांतर पुल बना दिया था। ऐसे में ग्रामीण इस पुल को हटाने के लिए आवेदन भी दे चुके थे। लोगों के इस आवेदन का भी चोरों ने लाभ उठाया और विभागीय आदेश बताकर पुल को कटवाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, ग्रामीणों को इस भरोसे में लिया कि, वे उनके आवेदन के बाद विभागीय आदेश पर पुल हटाने आए हैं।
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