बिहार चुनाव में परिवारवाद के तहत सभी दलों ने बांटे कई टिकट, राजनेताओं के बेटे-बेटियां, दागियों की पत्नियां तक चुनावी मैदान में
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में ऐसे कई लोगों को टिकट सभी दलों ने बांटे हैं जो या तो राजनीतिकों के रिश्तेदार हैं या फिर विरासत में उनको नेतागीरी मिली है। ससुर, दामाद, समधी, समधन, बेटे, बेटियों, पत्नियों को टिकट बांटे जाने का आलम यह है कि इस बार भी बिहार के चुनावी मैदान में डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे प्रत्याशी हैं। इससे पता चलता है कि बिहार की राजनीति पर परिवारवाद का कितना असर है। आइए डालते हैं एक नजर ऐसे ही प्रत्याशियों पर जिनको दलों से टिकट इसलिए मिल गया क्योंकि वो किसी राजनीतिक परिवार से आते हैं।
चुनाव में ससुर-दामाद मैदान में
बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे ससुर-दामाद की जोड़ियों को पहले लेते हैं। जदयू ने आलमनगर विधानसभा सीट से 25 साल से जीतते आ रहे नरेंद्र नारायण यादव को टिकट दिया है। वहीं उनके दामाद और पार्टी प्रवक्ता निखिल मंडल को मधेपुरा से जदयू ने उम्मीदवार बनाया है। ससुर चंद्रिका राय को जदयू ने परसा से टिकट दिया है तो दामाद तेज प्रताप यादव समस्तीपुर के हसनपुर से राजद से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जीतन राम मांझी गया जिले की इमामगंज सीट पर उम्मीदवार हैं तो उनके दामाद देवेंद्र मांझी को हम पार्टी ने जहानाबाद जिले के मखदुमपुर से टिकट दिया है। जीतन राम मांझी ने ते समधन ज्योति देवी को बाराचट्टी से चुनावी मैदान में उतार दिया है।
पति-पत्नी दोनों को टिकट
अब चुनावी मैदान में उतरे दंपति पर नजर डालते हैं। नवादा सीट से कौशल यादव को जदयू ने उम्मीदवार बनाया है तो उनकी पत्नी पूर्णिमा देवी को गोविंदपुर सीट से टिकट मिला है। अब गोविंदपुर सीट का इतिहास देखिए तो इस पर कौशल यादव के परिवार का कब्जा पिछले 40 साल से चला आ रहा है। प्रत्याशी पूर्णिमा देवी के पति कौशल यादव, सास और ससुर सभी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। ससुर युगल किशोर सिंह यादव 1969 में जीतकर पहली बार विधायक बने। उसके बाद सास गायत्री देवी इस सीट पर विधायक बनीं और उसके बाद पति कौशल यादव। उस विरासत को पूर्णिमा देवी आगे बढ़ा रही हैं। कौशल यादव नवादा उपचुनाव जीतकर जदयू विधायक बने थे, इस बार उसी सीट से चुनावी मैदान में हैं।
जिनको राजनीति विरासत में मिली...
अब ऐसे प्रत्याशियों को लेते हैं जिनको राजनीति विरासत में मिली है। राजद के चुनाव चिन्ह पर भीम कुमार सिंह गोह से चुनाव लड़ रहे हैं जो पूर्व विधायक रामनारायण सिंह के बेटे हैं। रामनारायण सिंह के भतीजे सुनील कुमार को जदयू ने ओबरा से टिकट दिया है। कांग्रेस ने विधायक सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद सिंह को कहलगांव से तो विधायक अवधेश कुमार सिंह के बेटे शशिशेखर सिंह को वजीरगंज सीट से टिकट दिया है। भाजपा ने पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को जमुई से चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के बेटे राजेश राम को कुटुम्बा से टिकट दिया है। पूर्व विधायक आदित्य सिंह की बहू नीतू कुमारी हिसुआ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
राजद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह को ओबरा सीट से टिकट दिया है वहीं प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ सीट, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को शाहपुर सीट और पूर्व सांसद जय प्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को तारापुर सीट से टिकट दिया है। राजद के ही टिकट पर जय प्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश यादव भी जमुई से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने संजीव चौरसिया, नितिन नवीन और राणा रणधीर सिंह को टिकट दिया है जिनके पिता विधायक और सांसद रहे। संजीव चौरसिया भाजपा नेता गंगा प्रसाद के बेटे हैं, वहीं नितिन नवीन बांकीपुर के पूर्व विधायक स्वर्गीय नवीन किशोर सिन्हा के पुत्र हैं। राणा रणधीर सिंह के पिता सीताराम सिंह पूर्व सांसद रहे हैं। पूर्व विधायक स्वर्गीय आनंद भूषण पांडेय की पत्नी रिंकी रानी पांडेय को भभुआ सीट से भाजपा ने टिकट दिया है। अमरपुर सीट से जयंत राज को जदयू ने टिकट दिया है जो विधायक जनार्दन मांझी के बेटे हैं। इसी तरह पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल कुमार घोसी सीट से जदयू प्रत्याशी हैं।
दागियों की पत्नियों को टिकट
राजद ने रेप मामले में फंसे दो विधायकों की पत्नियों को भी टिकट दिया है जो कि काफी चर्चा में है। नाबालिग से रेप मामले में सजा काट रहे विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को राजद ने नवादा सीट से टिकट दिया है। नाबालिक से रेप के एक और आरोपी विधायक अरुण यादव की पत्नी किरण देवी को भी राजद ने संदेश सीट से उम्मीदवार बनाया है।
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