सबसे कम उम्र की सरपंच प्रत्याशी को बनना था साइकोलॉजिस्ट, गांव की समस्या देखकर उतर गई चुनाव मैदान में
सतना, 18 जून: गांव,गली और मोहल्ले के चुनाव समझे जाने वाले पंचायत चुनाव में कुछ प्रत्याशियों का बायोडाटा हैरान करने वाला है, कोई एलएलबी है तो कोई पीएचडी, इस मामले में महिला कैंडिडेट पुरुष प्रत्याशियों से आगे हैं। जिले के सतना जिले के नागौद जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत गिंजारा से 21 साल की कुमारी मृगांशी सिंह परिहार भी चुनाव मैदान में है, वे ग्रेजुएशन कंप्लीट कर साइकोलॉजिस्ट बनना चाहती थी, लेकिन गांव की समस्या देखकर चुनावी समर में कूद पड़ी है। लगभग 1503 वोटरों वाली ग्राम पंचायत महिला के लिए अनारक्षित है। 16 वार्ड वाली गिंजारा पंचायत के सभी वार्ड निर्विरोध निर्वाचित हुए जबकि सरपंच के लिए 9 उम्मीदवार मैदान में है। इनमें से सबसे कम उम्र की कुमारी मृगांशी सिंह है तो सबसे उम्रदराज 56 वर्षीय एक अन्य महिला।
प्रदेश की दूसरी सबसे कम उम्र की उम्मीदवार
पड़ोसी जिले कटनी के बहोरीबंद ग्राम पंचायत के कई साल की अंशिका शेखर के बाद मृगांशी सिंह परिहार प्रदेश की सबसे कम उम्र की दूसरी सरपंच पद की प्रत्याशी होंगी। मौजूदा समय में मृगांशी सिंह की उम्र 21 साल 2 माह है। सेज विश्वविद्यालय इंदौर से साइकोलॉजी से ग्रेजुएशन करने वाली मृगांशी सिंह साइकोलॉजिस्ट बनना चाहती है।
स्वच्छ पानी और स्कूल सबसे बड़ी समस्या
ग्रेजुएशन इंदौर से करने वाली मृगांशी सिंह ने 9वीं से 10वीं तक की पढ़ाई बुरहानपुर और 11वीं से 12वीं तक की पढ़ाई जबलपुर से करने वाली मृगांशी ने साइकोलॉजिस्ट बनने की तैयारी करते करते चुनावी समर में उतरने के पीछे का कारण गिनाते हुए बताया कि स्वच्छ पानी और शिक्षा सबसे बड़ी समस्या है। लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है तो आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए छात्रों को 6 किलोमीटर दूर वसुधा या नागौद जाना पड़ता है। इन्हीं दो समस्याओं को ध्यान में रखकर मैंने चुनाव लड़ने का मन बनाया जिसका मेरे पिता मृगेंन्द्र सिंह परिहार ने समर्थन किया।