इलाहाबाद / प्रयागराज न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

दिलचस्प होगा इलाहाबाद-फूलपुर का मुकाबला, वोट कटवा प्रत्याशी बड़े दलों की गणित को करेंगे प्रभावित

Google Oneindia News

Prayagraj news, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की दो सबसे हाट सीट इलाहाबाद व फूलपुर लोकसभा के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बड़े दलों में भाजपा, कांग्रेस व सपा-बसपा गठबंधन समेत छोटे दल व निर्दलियों ने भी नामांकन किया है। इलाहाबाद लोकसभा से 23 और फूलपुर लोकसभा सीट से 36 प्रत्याशी प्रत्याशियों ने नामांकन चुनावी मैदान में ताल ठोकी है। इन दोनों सीटों के लिए छठे चरण में 12 मई को वोट डाले जाएंगे।

फूलपुर से 36, इलाहाबाद से 23 प्रत्याशी मैदान में

फूलपुर से 36, इलाहाबाद से 23 प्रत्याशी मैदान में

छठे चरण की नामांकन प्रक्रिया मंगलवार को पूरी कर ली गई है। फूलपुर लोकसभा सीट से 36 और इलाहाबाद संसदीय सीट से 23 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। नामांकन के अंतिम दिन खूब गहमा गहमी रही और कागजात न होने से नामंकन नहीं कर सकी शिववाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रत्याशी प्रिया सिंह पॉल ने फूलपुर सीट से पर्चा दाखिल किया। आज यानी 24 अप्रैल को नामांकन की स्क्रूटनी होगी, 26 अप्रैल को नाम वापसी होगी। हालांकि, अभी तक के जो हालत बने हैं उससे यह तो साफ हो गया है कि इस बार चुनाव बेहद ही दिलचस्प होने वाला है। वोट कटवा प्रत्याशी बड़े दलों की गणित को प्रभावित करेंगे। इसके साथ प्रशासन को अब इलाहाबाद में 2 ईवीएम मशीनें प्रत्येक बूथ पर लगेंगी, जबकि फूलपुर में ईवीएम की संख्या 3 हो जाएगी। हालांकि, नामांकन खारिज होने व नाम वापसी का समय अभी बाकी है, ऐसे में यह संख्या अभी कुछ कम हो सकती है।

ये भी पढ़ें: फूलपुर लोकसभा चुनाव की विस्तृत कवरेज

दिलचस्प रहेगा मुकाबला

दिलचस्प रहेगा मुकाबला

इलाहाबाद व फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से इस बार भी प्रत्याशियों की संख्या गुच्छों में हैं यानी इस बार भी चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। छोटे दल और निर्दल प्रत्याशी सीधे पर तो बड़ी पार्टियों को नुकसान नहीं पहुंचायेंगे, लेकिन वोट कटवा के रूप में अंतिक आंकड़ों को पूरी तरह से प्रभावित करेंगे। चूंकि इस बार हार जीत का आंकड़ा नजदीकी रहने वाला है, ऐसे में छोटे दल और निर्दलों के वोट से समीकरण बनते बिगड़ते नजर आयेंगे। मुख्य लड़ाई में सपा बसपा गठबंधन, भाजपा व कांग्रेस मौजूद है, जिसमें सीधी टक्कर महागंठबंधन व भाजपा के बीच है।

योगेश के लिए कांग्रेस को जिंदा कर पाना मुश्किल

योगेश के लिए कांग्रेस को जिंदा कर पाना मुश्किल

हालांकि, फूलपुर की अपेक्षा इलाहाबाद में कांग्रेस की उपस्थिति दमदार होगी और भाजपा व गठबंधन दोनों की हार जीत कांग्रेस को मिलने वाले वोटों के सापेक्ष ही नजर आएगी और अपनी छवि के अनुरूप अगर कांग्रेस प्रत्याशी योगेश शुक्ला ने कमाल दिखाया तो यमुनापार इलाके में बढ़त की योजना बनाए गठबंधन व भाजपा दोनों की रणनीति ध्वस्त हो जायेगी, जिसका सीधा उसर परिणाम पर दिखेगा। हालांकि, अच्छा प्रत्याशी होने के बावजूद भी कांग्रेस को जिंदा कर पाना योगेश के लिए हाल फिलहाल संभव नहीं दिख रहा। अगर अपने भाजपा समर्थक व कार्यकर्ताओं को भी योगेश अपने साथ लाने में सफल रहे तो जरूर वह फाइट में आ जायेंगे, लेकिन मुख्य लड़ाई के लिए उन्हें कोई करिश्माई नेतृत्व ही ला सकता है।

इलाहाबाद में ब्राह्मण किसके साथ

इलाहाबाद में ब्राह्मण किसके साथ

कांग्रेस और भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है, लेकिन ब्राह्मण किसे वोट करेंगे यह अभी सस्पेंस है। इलाहाबाद संसदीय सीट पर ब्राहम्ण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, ऐसे में उन्हें रिझाने के लिए दोनों दल कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाले हैं। अभी कांग्रेसी नेता शुरूआत में सिर्फ योगेश को स्थानीय ब्राहम्ण और रीता को बाहरी ब्राह्मण कह कर मुद्दा बना रहे हैं, लेकिन रीता का प्रयागराज में घर होने, उनके पिता की राजैनतिक विरासत होने, रीता का खुद वर्षों तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाना, मजदूरों के लिए आवाज उठाना इस मुद्दे की हवा निकाल रहा हैं। ऐसे में समय रहते कांग्रेस का वह मुद्दा भी लाना होगा जो ब्राहम्णों का भाजपा प्रेम खत्म कर वोट योगेश के लिये करा सके।

योगेश का दावा- पार्टी छोड़ी, समर्थक अभी भी साथ

योगेश का दावा- पार्टी छोड़ी, समर्थक अभी भी साथ

हालांकि, योगेश ने तो दावा कर दिया है कि उन्होंने सिर्फ पार्टी छोड़ी कार्यकर्ता और समर्थक उनके साथ हैं। खैर इसी सप्ताह में माहौल समझ में आने लगेगा और कांग्रेस मुख्य लड़ाई में होगी या नहीं यह ब्राह्मणों के रूख के साथ स्पष्ट हो जाएगा। चूंकि सपा-बसपा गठबंधन किसी ऐसे चेहरे को नहीं उतार सकी है जो अपने दम पर वोटों को मोड़ सके। गठबंधन की गणित उनके मूल वोटरों के सहारे ही है। ऐसे में इसका फायदा उठाने का प्रयास कांग्रेस और भाजपा दोनों करेगी।

फूलपुर में केशरी की बढ़त

फूलपुर में केशरी की बढ़त

देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाली फूलपुर लोकसभा सीट पर जातीय राजनीति का स्तर चरम पर पहुंच गया है। कुर्मी बाहुल्यता का फायदा उठाने के लिए मैदान में उतारी गई भाजपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल अभी तक सभी दलों पर बढ़त बनाए हुए हैं। यहां गठबंधन प्रत्याशी पंधारी यादव ही केवल केशरी देवी को टक्कर दे रहे हैं, लेकिन बैकवर्ड वोटों में असली सेंध केशरी देवी ने ही लगाई है। सपा अपने मूल वोटर यादव व मुस्लिमों के साथ-बसपा के मूल वोटरों का समीकरण लेकर मैदान में उतरी है, लेकिन केशरी की मौजूदा स्थिति भाजपा के मूल वोटरों के साथ पटेलों के एक तरफा धुव्रीकरण और बसपा वोटों में सेंध के साथ आगे बढ़ रही है। हालांकि अभी अखिलेश और मायवती की चुनावी जनसभा के बाद माहौल का बदलना तय माना जा रहा है। लेकिन फूलपुर में इस बार सपा को सीट पर जीत बरकरार रखने के लिए लोहे के चने चबाने होंगे। अगर पटेल मतदाताओं का मौजूदा रूख ऐसे ही बना रहा तो मौजूदा समीकरण यही कहते हैं कि भाजपा का कमल यहां खिलने का सबसे प्रबल दावेदार होगा।

ये भी पढ़ें: बाहुबली अतीक के फूलपुर से चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म, राजनैतिक करियर पर भी विराम!ये भी पढ़ें: बाहुबली अतीक के फूलपुर से चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म, राजनैतिक करियर पर भी विराम!

Comments
English summary
lok sabha elections 2019 special story on phulpur and allahabad seat
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X