जौहर यूनिवर्सिटी में बिना सर्च वारंट छापा मारने के मामले में रामपुर के डीएम-एसएसपी को नोटिस
प्रयागराज। सपा सांसद आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय मामले में पुलिसकर्मियों के साथ रामपुर के डीएम की मुश्किल बढ़ सकती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी में छापेमारी को लेकर रामपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अपना पक्ष रखने को कहा है। इस मामले में सरकार की ओर से भी चार सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल किया जाना है। बिना सर्च वारंट छापा डालने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।
क्या है आरोप
गौरतलब
है
कि
इस
मामले
में
यूनिवर्सिटी
के
ओर
से
पुलिस
पर
कई
गंभीर
आरोप
लगाए
गए
हैं।
जिसमें
सर्च
वारंट
के
बगैर
पुलिस
का
विश्वविद्यालय
परिसर
में
घुसकर
छापेमारी
करना,
कुलाधिपति
कार्यालय
में
तोड़फोड़
करने,
जबरन
व
दबाव
बनाने
के
लियेकर्मचारियों
को
गिरफ्तार
करना
जैसे
आरोप
शामिल
हैं।
कोर्ट
को
सुप्रीम
कोर्ट
की
गाइडलाइन
के
अनुसार
बताया
गया
है
कि
पुलिस
ने
नियमों
का
उल्लंघन
किया
और
असंवैधानिक
तरीके
से
पूरी
प्रक्रिया
की
गयी
है।
आरोप
है
कि
विश्वविद्यालय
के
चांसलर
आजम
खां
से
राजनितिक
वैमनस्यता
के
कारण
विश्वविद्यालय
पर
कार्रवाई
की
जा
रही
है।
फिलहाल
हाईकोर्ट
ने
राज्य
सरकार
समेत
जिलाधिकारी
व
एसएसपी
से
जवाब
मांगा
है
और
अगर
उनका
जवाब
सरकार
की
ओर
से
संतोष
जनक
नहीं
हुआ
तो
हाईकोर्ट
सख्ती
बरत
सकती
है,
साथ
ही
संबंधित
अधिकारी
व
कर्मचारी
पर
गाज
गिर
सकती
है।
सरकार ने क्या बताया
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह सफाई दी है और कार्रवाई को लेकर स्थिति भी स्पष्ट कर दी गयी है। जिसमें बताया गया है कि किताब चोरी की एफआईआर दर्ज है और उसी मामले की जांच व बरामदगी के लिये यह कार्रवाई हुई है। विवेचनाधिकारी को बिना सर्च वारंट के भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार होता है। मगर इस मामले में यूनिवर्सिटी के अंदर छापेमारी के लिये मजिस्ट्रेट से आदेश लिया गया था और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में छापा डाला गया। चोरी का सामान भी बरामद हुआ है और कहीं भी कोई नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। पुलिस की कार्रवाई नियमानुसार हो रही है। हालांकि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस पूरे प्रकरण पर हलफनामा दाखिल कर अपना जवाब देने को कहा है।
क्या है मामला
जौहर विश्वविद्यालय की मुमताज़ सेंट्रल लाइब्रेरी पर पुलिस की छापेमारी की वजह भी स्पष्ट हो गयी है। दरअसल मदरसा आलिया के प्रिंसिपल जुबेद खां ने 16 जून को एक एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके मदरसे से बड़ी संख्या में किताबे चोरी हुई हैं और चोरी की गई किताबें जौहर यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद हैं। पुलिस ने इसी मुकदमे में जांच शुरू की तो पांच लोगों को पूछताछ के लिये हिरासत में लिया, जिससे कुछ राज और खुले और किताबों की लोकेशन की जानकारी और पुख्ता हो गयी। स्थानीय पुलिस ने इसी आधार पर कार्रवाई के लिये उच्चाधिकारियों से परमीशन ली और लाइब्रेरी में छापेमारी की। अभी तक करीब 2000 से ज्यादा किताबें पुलिस ने बरामद कर ली गयी हैं। चोरी हुई प्राचीन किताबों की पहचान भी शुरू करा दी गई है।
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