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आगरा: जन्मदिन पर हुआ शहीद का अंतिम संस्कार, एक साल के भतीजे ने दी मुखाग्नि

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Agra news, आगरा। अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादियों से मुठभेड़ में शहीद सैनिक अमित चतुर्वेदी का पार्थिव शरीर तिरंगा में लिपटा हुआ गांव पहुंचा। अमित का आज यानी 3 जून को जन्मदिन था, लेकिन देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमित का आज अंतिम संस्कार किया गया। एक साल के भतीजे ने शहीद को मुखाग्नि दी। शहीद के बलिदान को सीएम योगी आदित्यनाथ ने नमन किया। उन्होंने कहा ​कि देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान कर देने वाले वीर सपूत अमित चतुर्वेदी को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

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सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

अमित चतुर्वेदी कागारौल के गांव बीसलपुर में रहते थे। 25 वर्षीय अमित चतुर्वेदी सेना में सिपाही के पद पर इन दिनों असोम में तैनात थे। 31 मई की देर शाम सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में उन्हें गोली लगी। उपचार के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। 3 जून को ही अमित का जन्मदिन होता है। 3 जून 1994 को जुड़वा बेटे अमित और अरूण का जन्म हुआ था, लेकिन यह तारीख परिवार को गम दे गई।

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

शहीद अमित के पिता रिटायर सूबेदार रामवीर चतुर्वेदी ने बताया कि 31 मई की रात को अमित से फोन पर बात हुई। उसने जन्मदिन पर गांव आने के लिए रिजर्वेशन कराने की बात कही थी। लेकिन, तीन जून को सुबह बहादुर बेटे का पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटकर लाया। पिता को बहादुर बेटे अमित को खोने का गम है लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी है। शहीद अमित चतुर्वेदी को अंतिम विदाई देने जनसैलाब उमड़ा। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर, विधायक और जिले के आला अफसरों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। जब अंत्येष्टि स्थल पर एक साल के भतीजे ने शहीद अमित को मुखाग्नि दी तो हर आंख छलक पड़ी।

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद अमित चतुर्वेदी के दो और भाई हैं। बड़े भाई सुमित और अमित के जुड़वा भाई हैं अरुण। दोनों भाई भी फौज में हैं। सुमित इन दिनों लद्दाख में तैनात है। अमित असोम में थे। जुड़वा भाई अरुण की तैनाती देहरादून में है। सात दिन पहले ही अमति की शादी तय हुई थी। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन अब पूरे गांव में गमगीन माहौल है।

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सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

अमित चतुर्वेदी कागारौल के गांव बीसलपुर में रहते थे। 25 वर्षीय अमित चतुर्वेदी सेना में सिपाही के पद पर इन दिनों असोम में तैनात थे। 31 मई की देर शाम सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में उन्हें गोली लगी। उपचार के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। 3 जून को ही अमित का जन्मदिन होता है। 3 जून 1994 को जुड़वा बेटे अमित और अरूण का जन्म हुआ था, लेकिन यह तारीख परिवार को गम दे गई।

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

शहीद अमित के पिता रिटायर सूबेदार रामवीर चतुर्वेदी ने बताया कि 31 मई की रात को अमित से फोन पर बात हुई। उसने जन्मदिन पर गांव आने के लिए रिजर्वेशन कराने की बात कही थी। लेकिन, तीन जून को सुबह बहादुर बेटे का पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटकर लाया। पिता को बहादुर बेटे अमित को खोने का गम है लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी है। शहीद अमित चतुर्वेदी को अंतिम विदाई देने जनसैलाब उमड़ा। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर, विधायक और जिले के आला अफसरों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। जब अंत्येष्टि स्थल पर एक साल के भतीजे ने शहीद अमित को मुखाग्नि दी तो हर आंख छलक पड़ी।

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद अमित चतुर्वेदी के दो और भाई हैं। बड़े भाई सुमित और अमित के जुड़वा भाई हैं अरुण। दोनों भाई भी फौज में हैं। सुमित इन दिनों लद्दाख में तैनात है। अमित असोम में थे। जुड़वा भाई अरुण की तैनाती देहरादून में है। सात दिन पहले ही अमति की शादी तय हुई थी। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन अब पूरे गांव में गमगीन माहौल है।

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सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

सर्च ऑपरेशन के दौरान लगी थी गोली

अमित चतुर्वेदी कागारौल के गांव बीसलपुर में रहते थे। 25 वर्षीय अमित चतुर्वेदी सेना में सिपाही के पद पर इन दिनों असोम में तैनात थे। 31 मई की देर शाम सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में उन्हें गोली लगी। उपचार के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। 3 जून को ही अमित का जन्मदिन होता है। 3 जून 1994 को जुड़वा बेटे अमित और अरूण का जन्म हुआ था, लेकिन यह तारीख परिवार को गम दे गई।

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

जन्मदिन पर गांव आने की बात कही थी

शहीद अमित के पिता रिटायर सूबेदार रामवीर चतुर्वेदी ने बताया कि 31 मई की रात को अमित से फोन पर बात हुई। उसने जन्मदिन पर गांव आने के लिए रिजर्वेशन कराने की बात कही थी। लेकिन, तीन जून को सुबह बहादुर बेटे का पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटकर लाया। पिता को बहादुर बेटे अमित को खोने का गम है लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी है। शहीद अमित चतुर्वेदी को अंतिम विदाई देने जनसैलाब उमड़ा। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर, विधायक और जिले के आला अफसरों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। जब अंत्येष्टि स्थल पर एक साल के भतीजे ने शहीद अमित को मुखाग्नि दी तो हर आंख छलक पड़ी।

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद के दोनों भाई भी फौज में

शहीद अमित चतुर्वेदी के दो और भाई हैं। बड़े भाई सुमित और अमित के जुड़वा भाई हैं अरुण। दोनों भाई भी फौज में हैं। सुमित इन दिनों लद्दाख में तैनात है। अमित असोम में थे। जुड़वा भाई अरुण की तैनाती देहरादून में है। सात दिन पहले ही अमति की शादी तय हुई थी। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन अब पूरे गांव में गमगीन माहौल है।

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English summary
funeral of martyr amit chaturvedi on his birthday
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