तिहाड़ जेल का FM रेडियो शुरु, कैदियों की दी जाएंगी रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग
नयी दिल्ली। किसी ना किसी अपराध को लेकर अपनी जिंदगी सलाखों के पीछे गुजार रहे कैदियों के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक नयी पहल की है। दिल्ली के तिहाड़ जेल में चरखा इकाई और एक FM रेडियो चैनल शुरू की गई है। जेल प्रशासन ने इस रेडियो प्रोगाम की शुरुआत कर कैदियों को नयी सौगात दी है। जेल का एफएम चैनल हो तो रेडियो प्रजेंटर भी वहीं के होने चाहिए। सो इस रेडियो चैनल को चलाने के जिम्मा भी कैदियों के हाथों में दिया गया है। जेल में कैदियों को रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी जाएंगी। तिहाड़ से शुरु होने वाले इस एफएम चैनल का नाम टीजे रेडियो रखा गया है।
जेल के कैदियों के मनोरंजन के लिए शुरु की गई इस रेडियो चैनल से जहां इंटरटेनमेंट होगा तो वहीं रेडियों जॉकी प्रोग्राम की ट्रेनिंग के जरिए उन्हें सक्षम बनाने की कोशिश की जा रही है। रेडियो के अलावा जेल में ही चरखा इकाई की शुरुआत की गई है। रेडियो की शुरुआत जहां जेल नंबर-4 में की गई है तो वहीं चरखा इकाइयों का उद्घाटन जेल नबंर-8 में की गई है। दोनों की प्रोग्राम की शुरुआत जेल महानिदेशक विमला मेहरा ने किया। जेल नंबर 4 में 2500 कैदी हैं। जबकि जेल नंबर 8 में 1800 कैदी हैं। तिहाड़ की सभी जेलों में करीब 12000 कैदी रहते हैं।
जेल महानिदेशक विमला मेहरा ने उद्घाटन के समय बताया कि जेल में शुरु हुए कंबल बनाने वाली इकाई के लिए मशीन और कच्चा माल जेल अधिकारी मुहैया कराएंगे। इकाई को हर महीने 10,000 कंबल बनाने का लक्ष्य दिया जाएगा। तेहाड़ में बंद नाइजीरियाई और अन्य विदेश कैदी खादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं। ये कोई पहली बार नहीं है जब तिहाड़ जेल के कैदियों के लिए इस तरह की शुरुआत की गई हो। जेल में बंद कैदियों के मनोरंजन, उनकी कार्यशैली को बढ़ाने और आगे के जीवन में सफल बनाने के लिए उन्हें समय-समय पर अलग-अलग कार्यक्रमों की ट्रेनिंग दी जाती है। कभी पेंटिंग बनाने की, कभी फैशन की, कभी रंग बनाने की तो कभी दिए और खिलौने बनाने की। जेल के बंद कैदी अपने आगेके जीवन में बाहर निकल कर अपने पैरों पर खड़ा हो सके इसके लिए उन्हें इस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।
जहां जेल में एक तरफ इनसे काम करवाया जाता है, वहीं जेल का जीवन इनका नीरस ना हो जाए, इसके लिए समय-समय पर इनके मनोरंजन के लिए रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। कभी फैशन शो के जरिए इनका मनोरंजन किया जाता है तो कभी खेल और त्यौहार बनाकर। जेल प्रशासन कैदियों का खास ख्याल रखा जाता है। तिहाड़ जेल में बंद कैदियों के हाथों की बनी चीजे बाजार में उतारी जाती है। तिहाड़ जेल के कैदियों के हाथों से बने हर्बल रंग खासे मशहूर है।
तिहाड़ के कैदी कहेंगे 'बजाते रहो'
दिल्ली की तिहाड़ जेल में चरखा इकाई और एक FM रेडियो चैनल शुरू की गई है। जेल प्रशासन ने इस रेडियो प्रोगाम की शुरुआत कर कैदियों के लिए एक नयी पहल की है।
तिहाड़ के कैदी बनेंगे रेडियो जॉकी
जेल में कैदियों को रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी जाएंगी। तिहाड़ से शुरु होने वाले इस एफएम चैनल का नाम टीजे रेडियो रखा गया है। रेडियो के अलावा उन्हें दिए बनाने, रंग बनाने, खिलौने बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
कैदियों के बनाए खिलौने से खेलते है आपके नौनिहाल
तिहाड़ जेल के अंदर कैदियों को सबल बनाने और अपने पारों पर खड़ा करने के लिए उन्हें खिलौने और लघु उद्योग से जुड़ी अन्य चीजों को बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इनके बनाए खिलौने बाजार में बेचे जाते है। जो पैसे जमा होते है उन्हें कैदियों में बांट दिया जाता है।
कैदियों के लिए फैशन शो
तिहाड़ जेल में महिला कैदियों के लिए फैशन शो का आयोदन किया गया। जेल महानिदेशक विमला मेहरा ने खुद रैंप पर उतर कर कैदियों का उत्साह बढ़ाया।
पेंटिंग के जरिए दूर करते है अपना अकेलापन
तिहा़ड़ जेल में बंद कैदी अपनों से दूर अपने किए की सजा काट रहे होते है। ऐसे में उनका अकेलापन उनके लिए एक और सजा ना बन जाए, इसका ख्याल रखा जाता है। कैदियों को समय-समय पर चित्रकारी की ट्रेनिंग दी जाती है। पेंटिंग के जरिए वो अपना अकेलापन दूर करते है।
जेल में कैदियों की मस्ती
तिहाड़ जेल में बंद कैदी भले ही यहां अपनी सजा काट रहे हो, लेकिन जेल के अंदर वो हर त्यौहार मनाते है। भले ही वो अपनों से दूर हो, लेकिन जेल में ही वो एक-दूसरे के साथ अपनी खुशी मनाते है।