पूणे के किलर बस ड्राइवर को मिली सजा-ए-मौत
दरअसल पिछले साल 25 जनवरी को संतोष माने ने डिपों से जबरदस्ती नगर निगम की बस चुराकर उसे लेकर भागने लगा। संतोष के रास्ते में जो भी आया उसे वो कुचलता चला गया। तरकीबन 45 मिनट तक पूणे की सड़क पर मौत का तांडव करने वाले संतोष को लोगों ने बाद में पकड़ लिया, लेकिन तबतक उसके इस पागलपन की वजह से 9 लोगों कीजान चली गई थी जबकि 37 लोग जख्मी हो गए थे।
एक साल पुराने इस माले की सुनवाई कर रहे रहे अतिरक्ति सत्र न्यायाधीश वीके शेवाले ने माने की दलीलों को खारिज कर कहा कि उसने यह अपराध पूरे होशोहवास में किया है। इससे पहले आरोपी माने ने अपने बचाव में कोर्ट में दलील दी थी कि उसने यह अपराध पागलपन की स्थिति में किया था। इसलिए उसे माफी मिलनी चाहिए। उसकी दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जानबूझकर बस को खतरनाक तरीके से इधर-उधर घुमाते हुए 9 लोगों की कुचलकर हत्या कर दी।
वह जानता था कि ऐसा करने से लोग मारे जाएंगे और घायल होंगे। उसका उद्देश्य बस से किसी इमारत को निशाना बनाने का नहीं, बल्कि लोगों को मारने का था। कोर्ट ने इसे झघन्य अपराद करार दिया और इस मामले में फैसला 3 अप्रैल को ही सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद आरोपी बस ड्राइवर संतोष माने के परिजनों और मनोचिकित्सक ने दावा किया था कि वह मानसिक रूप से बीमार है। मगर जज ने इनकी दलीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने झूठे साक्ष्य पेश करने के लिए बचाव पक्ष के गवाहों और मनोचिकित्सक को भी आडे़ हाथों लिया और उन्हें कड़ी फटकार लगाई।