इसरो ने रॉकेट मोटर का परीक्षण शुरू किया, प्रक्षेपण टला
चेन्नई, 26 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), पोलर सैटेलाइट लांच व्हिकल (पीएसएलवी) द्वारा पिछले 17 सालों में किए गए 16 सफल प्रक्षेपणों के बाद अब लांचिंग के अपने प्रदर्शन मानकों को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख उपकरण का परीक्षण कर रहा है, ताकि लांचिंग के दौरान घटने वाली अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।
इसरो गैस मोटर का परीक्षण कर रहा है, जो उच्च तापरोधी तरल ईंधन से चलने वाले दूसरे इंजन में लगा होता है।
इस परीक्षण के कारण इसरो को अपने दूरसंवेदी उपग्रह रिसोर्ससैट-2 और दो अन्य पेलोड्स की लांचिंग लगभग एक महीने के लिए टालनी पड़ी है। रिसोर्ससैट जैसे दूरसंवेदी उपग्रह विभिन्न उपयोगों के लिए चित्र एवं अन्य आंकड़े भेजते हैं। भारत वैश्विक बाजार में इस तरह के आंकड़े उपलब्ध कराने वाला एक प्रमुख देश है।
ज्ञात हो कि रॉकेट का प्रक्षेपण इसी सप्ताह होना था।
इसरो के अधिकारियों के अनुसार गैस मोटर, इंजन के नॉजल को सक्रिय करने के लिए रॉकेट के दूसरे चरण के नियंत्रण प्रवर्तकों (एक्ट्युएटर) को शक्ति प्रदान करता है। इस प्रक्रिया को 'गिम्बलिंग' कहते हैं। इस प्रक्रिया से उड़ान के समय रॉकेट की रफ्तार अनवरत बनी रहती है।
यह मोटर रॉकेट से निकलने वाली गरम गैसों से चलती है।
इसरो के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "पूर्व में पीएसएलवी रॉकेट के प्रक्षेपणों के दौरान हमने मोटर वाहिनी (इनलेट) में गरम गैसों का तापमान 20-30 प्रतिशत अधिक पाया था, जबकि इसका तापमान 300 डिग्री सेल्सियस के आसपास या इससे कम होना चाहिए।"
इसरो के अधिकारियों ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष के.राधाकृष्णन रॉकेट की उप प्रणालियों के मानकों के बारे में सुनिश्चित होना चाहते थे, क्योंकि उनका यह मानना था कि इसरो एक और विफलता बर्दाश्त नहीं कर सकता।
इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन, पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल कर तीसरे पक्ष के उपग्रहों की लांचिंग कर अच्छी कमाई कर रहा है।
हाल में इसरो के पिछले दो मिशन विफल हो गए थे। इन दोनों मिशन में भारी रॉकेट - जीयोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉच व्हिकल जीएसएलवी- का इस्तेमाल किया गया था। इस विफलता के परिणामस्वरूप लगभग 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।