परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में समझौतों के लिए भारतीय, कनाडाई कम्पनियों ने वार्ता की
ओटावा, 26 फरवरी (आईएएनएस)। भारत और कनाडा के बीच 36 वर्ष बाद परमाणु व्यापार सम्बंध दोबारा कायम होने के बाद भारतीय कम्पनियों ने शुक्रवार को कनाडाई कम्पनियों से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार समझौतों पर बातचीत की।
ओटावा में शुक्रवार को आयोजित हुए परमाणु उद्योग सम्मेलन एवं व्यापार प्रदर्शनी में यह वार्ता आयोजित की गई। कनाडा की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की कम्पनियों के संगठन कनाडाई परमाणु संघ द्वारा हर वर्ष इस सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के सहायक निदेशक एफ. वोहरा के नेतृत्व में सम्मेलन में शामिल हुए भारतीय शिष्टमंडल में एल एण्ड टी इंफोटेक, डीएम कार्पोरेशन और अवासराला टेक्नोलॉजीस लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
कोल्हापुर स्थित डीएम कार्पोरेशन के निदेशक विजय जोशी ने आईएएनएस से कहा, "हमने दो या तीन समझौतों के लिए वार्ता शुरू की है। हमने कई कनाडाई कम्पनियों के प्रतिनिधियों से भारत में संयुक्त उपक्रम स्थापित करने के लिए मुलाकात की है।"
जोशी ने कहा कि वर्ष 2032 तक परमाणु उर्जा उत्पादन 7,000 मेगावॉट से बढ़ाकर 63,000 मेगावॉट किए जाने के भारत के लक्ष्य के चलते कनाडाई कम्पनियों को भारतीय कम्पनियों के साथ मिलकर उद्यम स्थापित करने की काफी संभावनाएं हैं। एक मेगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए 700 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होने से यह अरबों डॉलर की कीमत का बड़ा व्यापार क्षेत्र है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तहत भारत इस क्षेत्र में 60 प्रतिशत स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है। इसलिए अमेरिका, रूस, फ्रांस और अन्य देशों की जो कम्पनियां भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगा रही हैं उन्हें भारत में निर्मित उपकरणों की जरूरत पड़ेगी।
पिछले साल जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कनाडा के साथ द्विपक्षीय परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के बाद पहली बार दोनों देशों की कम्पनियों के बीच यह उच्च स्तरीय वार्ता हुई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।