ट्यूनीशिया में चुनाव अब जुलाई में
बीबीसी के अनुसार राजधानी ट्यूनिस में शुक्रवार को गन्नौची के इस्तीफे की मांग को लेकर जुलूस निकाल रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हस्तक्षेप किया। गन्नौची ट्यूनीशिया के अपदस्थ नेता जिने अल अबीदीन बेन अली के लम्बे समय से सहयोगी रहे हैं। गन्नौची बेन अली के अधीन 1999 से ही काम कर रहे थे।
बेन अली के 14 जनवरी को सऊदी अरब भाग जाने के बाद प्रदर्शनकारियों की यह सबसे बड़ी रैली थी। बेन अली 23 वर्षो से सत्ता पर काबिज थे। अंतरिम सरकार ने चुनाव बाद सहज रूप में सत्ता हस्तांतरित करने का संकल्प लिया था। पहले सितम्बर में चुनाव प्रस्तावित थे।
लगभग 100,000 की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने ट्यूनिस के मुख्य स्थल से जुलूस शुरू किया था। प्रदर्शनकारी 'गन्नौची जाओ' के नारे लगा रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंतरिक मंत्रालय के परिसर से तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और चेतावनी स्वरूप हवा में गोलियां चलाई।
सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है, "सरकार ने तय किया है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ राय-मशविरे की प्रक्रिया मध्य मार्च से आगे नहीं बढ़नी चाहिए.. चुनाव 2011 की मध्य जुलाई में आयोजित होंगे।"
बीबीसी ने समाचार एजेंसी टीएपी के हवाले से कहा है कि बयान में यह भी कहा गया है कि सरकार ने बेन अली के कुल 110 रिश्तेदारों की सम्पत्तियां जब्त कर ली है और उसके बाद 46 अन्य सदस्यों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है।
बेन अली के पतन के बाद गन्नौची ने प्रदर्शनकारियों को लुभाने की कोशिश में कई सुधार शुरू किए और कुछ विवादास्पद कैबिनेट के सदस्यों को बर्खास्त कर दिया।
प्रदर्शनकारियों को अभी भी इस बात का भय है कि अंतरिम कैबिनेट में बेन अली के अधिनायकवादी शासन के चेहरों की उपस्थिति के कारण उनकी क्रांति बेकार जा सकती है।
बीबीसी के अनुसार, इस कारण प्रदर्शनकारियों ने रविवार से प्रधानमंत्री कार्यालय के बगल में स्थित चौराहे पर डेरा जमा दिया है। वहां उन्होंने तम्बू खड़े कर दिए हैं और मुख्य सरकारी इमारत की दीवारों पर नारे लिख डाले हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।