लालची इंसान की नजर खुदा की जमीन पर!
भारतीय संविधान के मुताबिक वक्फ़ संपत्ति को सीधे-सीधे खुदा की संपत्ति माना जाता है। लेकिन अब खुदा की संपत्ति पर खुदा के कुछ चालाक बंदों ने ऐसी भूखी नजर जमा दी है कि उसे पूरे का पूरा निगल कर अपने नाम करने में तुले हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट कई मर्तबा इस भूमि के संरक्षण के आदेश दे चुका है, इसके बावजूद मुज़फ्फरनगर में वक्फ़ संपत्ति के लगातार बैनामे हो रहे हैं।
वक्फ़ की करीब साढ़े तीन हजार बीघा जमीन को आधिकारियों और भूमाफियाओं ने मिलकर नीलाम कर दिया है। वक्फ़ की संपत्ति में खातोली की शुगर मिल एवं रेलवे स्टेशन भी शामिल है। नियम के मुताबिक जो संपत्ति एक बार वक्फ़ हो जाती है, उसका मालिक सीधे-सीधे अल्लाह हो जाता है! उस संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही उसके स्वरूप में परिवर्तन हो सकता है। लेकिन यहां भारतीय संविधान की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ऐसा कारनामा किया गया है।
वक्फ़ मामलों के अधिवक्ता महफूज खां राठौर का कहना है कि वक्फ़ संपत्तियों के बैनामे नहीं हो सकते, लेकिन यहां 250 से अधिक ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं। ये मामले अदालत में विचाराधीन हैं। उनका कहना है कि ये बैनामे अफसरों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से हुए। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ए.डी.एम.के. राठौर और वक्फ अलमदार हुसैन के मुतवल्ली अली परवेज जैदी का कहना है कि ये संपत्ति उनके बुजुर्गो ने वक्फ की थी, जिस पर आजादी के बाद से लगातार कब्जे होते आ रहे हैं और इस बाबत वे मुजफ्फरनगर से लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक में मुकदमे लड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि शेखपुरा गांव को वर्ष 1916 में वक्फ़ करार दिया गया था, जहां लगभग चार हजार बीघा कीमती जमीन मौजूद थी। लेकिन वफ्फ़ हुई संपत्ति पर भूमाफियाओं की पहले से ही तीखी नजर थी। यहां की जानसठ तहसील के आधिकारियों ने भूमाफियाओं से मिलीभगत करके इस पूरे गांव को बेच डाला और भूमाफियाओं के नाम बैनामे करके दाखिल खारिज भी करा दिया गया।
बसपा नेता एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य शाह नवाज राना का कहना है कि इस मामले पर वक्फ बोर्ड गंभीर है। जिला स्तर पर अफसरों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दोषी लोगों को बक्शा नहीं जाएगा, बोर्ड की अगली बैठक में इस मामले को उठाया जाएगा।