टाटा-चंद्रशेखर के बहाने सिब्बल ने भाजपा पर साधा निशाना
नई दिल्ली। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरुवार को टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा के उस बयान का समर्थन किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 1999 में पहली बार दूरसंचार कम्पनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए नियम में बदलाव किया, जिससे कम से कम 11 अरब डॉलर की राष्ट्रीय क्षति हुई।
टाटा द्वारा उद्योगपति और सांसद राजीव चंद्रशेखर को लिखे पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दूरसंचार मंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि टाटा का बयान तथ्यपूर्ण है और इससे पता चलता है कि विपक्ष इस मुद्दे पर संसद में बहस क्यों नहीं चाहता है।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नया मोड़ देते हुए सिब्बल ने कहा, "रतन टाटा के पास निश्चित तौर पर पुख्ता जानकारी है जिसके आधार वह यह बात कह रहे हैं। विचारनीय बिंदु यह है कि विपक्ष और सबसे पहले भाजपा न्याय के पक्ष में नहीं है।"
दूरसंचार लाइसेंस रखने वाली कंपनी बीपीएल समूह से जुड़े चंद्रशेखर द्वारा लिखे खुले पत्र का टाटा द्वारा दिए गए जवाब पर प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए सिब्बल ने कहा, "भाजपा की रुचि केवल संसद की कार्यवाही बाधित करने में है। इस पार्टी के लिए हमें अंग्रेजी के नए शब्द को ईजाद करना होगा।"
उन्होंने कहा, "लेकिन मैंने आज जो पाया है, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ ऑपरेटर दूसरों से लड़ रहे हैं, क्योंकि वे महसूस कर रहे हैं कि उसके साथ भेद-भाव हुआ है।" अपने जवाब में टाटा ने कहा है कि जिस शक्ति सम्पन्न मंत्री समूह ने दूरसंचार लाइसेंस आवंटन के नियम में बदलाव किया, उसका नेतृत्व भाजपा नेता जसवंत सिंह ने किया था। नियम को बदलकर नीलामी प्रक्रिया लागू की गई जो आज भी लागू है।
सिब्बल ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की नवीनतम रिपोर्ट के समानांतर रिपोर्ट तैयार करने की जरूरत भी बताई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में स्पेक्ट्रम के आवंटन की सरकारी नीति के कारण देश को 58,000 करोड़ से 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसी रिपोर्ट के कारण ए. राजा को पिछले महीने दूरसंचार मंत्रालय छोड़ना पड़ा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।