बादल बिगाड़ सकते हैं उल्का पिंड बौछार के नजारे का मजा
उम्मीद है कि गुरुवार रात करीब दो बजे 100 से ज्यादा उल्का पिंड आसमान में नजर आएंगे लेकिन यदि बादल बरकरार रहे तो ऐसी गतिविधियों में रुचि लेने वालों के हाथ निराशा ही लगेगी। यह दृश्य एक सेकेंड में समाप्त हो जाएगा और यह लगभग तारों जैसा ही चमकदार होगा।
प्लैनटेरी सोसाइटी, भारत के एन. एस. रघुनंदन कुमार ने आईएएनएस से कहा, "आसमान पर बादल रहने से उल्का पिंडों की बौछार को देखने में दिक्कत आ सकती है और यह लोगों को निराश कर सकता है। लेकिन रात में दो से चार बजे के बीच लोग इसे देखने का प्रयास कर सकते हैं।"
परसीड उल्का वृष्टि हर साल 18 अगस्त से 25 अगस्त के बीच होती है। 12 अगस्त को यह अपने चरम पर होता है।
साइंस पॉपुलराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स (स्पेस) के निदेशक चंद्रभूषण देवगन ने कहा, "पहले पतला अर्धचंद्राकार चंद्रमा सामने आएगा जो इस अदभुद नजारे के लिए एक मंच तैयार करेगा। बादल होने की वजह से हालांकि इस अदभुद नजारे को देखने के इच्छुक लोगों को निराशा हो सकती है।"
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने घने बादल और दिन में बाद में बारिश होने की संभावना जताई है।
इस नजारे को देखने के लिए टेलीस्कोप या दूरबीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।