किर्गिस्तान हिंसा में मृतकों की संख्या 120 हुई (लीड-1)
इस बीच उज्बेक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का कहना है कि हिंसा में उनके समुदाय के कम से कम 500 लोग मारे गए हैं। रेडक्रास का कहना है कि कई शवों की बिना पहचान किए ही दफना दिया गया।
इस बीच वहां फंसे 116 भारतीयों सुरक्षित निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन भारतीयों में ज्यादातर छात्र हैं।
समाचार एजेंसी एकेआई के अनुसार किर्गिस्तान के दक्षिणी शहरों किर्गिज और उज्बेक समुदाय के बीच गुरुवार को भड़की हिंसा में अब तक 1500 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
हिंसा फैलने के बाद उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान की सीमाओं को बंद कर दिया गया। उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और कई बाजारों को लूट लिया गया।
उज्बेक और किर्गिज समुदाय के नेताओं ने रविवार को सुलह वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।
इस बीच रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने किर्गिस्तान की प्रधानमंत्री रोजा ओतुनबायेवा से टेलीफोन पर बात की है। समझा जाता है कि वह हिंसा पर काबू पाने के लिए सैन्य सहायता देने पर विचार कर रहे हैं। एक सप्ताह वह इसी तरह के अनुरोध को हालांकि खारिज कर चुके हैं।
मेदवेदेव की प्रवक्ता नतालिया तिमाकोवा ने कहा कि राष्ट्रपति ने इस बात जोर दिया कि देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बहाल की जाए और सामुदायिक संघर्षो में जान माल का नुकसान जल्द से जल्द रोका जाना चाहिए।
इस बीच किर्गिस्तान की अंतरिम सरकार ने पूरे जलालाबाद क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है।
किर्गिस्तान की अांतरिक सरकार ने शनिवार को एक आदेश पारित करते हुए पुलिस और सुरक्षा बलों को दंगों पर काबू पाने के लिए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का हुक्म दे दिया।
दुकानें और बाजार बंद रहने से खाद्यान्नों और दवाओं की किल्लत से दक्षिणी किर्गिस्तान में मानवीय स्थिति जटिल हो गई है।
सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के अधिकारियों की सोमवार को बैठक होगी। जिसमें संकट को सुलझाने के तरीकों और हिंसा प्रभावित किर्गिस्तान में शांति रक्षक सेना की तैनाती की संभावना पर विचार किया जाएगा। सीएसटीओ में किर्गिस्तान, रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल में राष्ट्रपति कुरमानबेक बाकियेव के सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही वहां तनाव बढ़ गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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