पेट्रोल, डीजल की कीमतों में वृद्धि पर फैसला टला (राउंडअप)
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को निर्धारित समय पर समिति की बैठक शुरू हुई। इसमें पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने भाग लिया, लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार और रेल मंत्री ममता बनर्जी बैठक से नदारद रहे। इस कारण इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका।
अधिकारियों ने कहा कि पवार का मुंबई में गले का ऑपरेशन होने वाला है जबकि बनर्जी का पहले से ही निर्धारित कार्यक्रम था। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है और उन्होंने कीमतों में वृद्धि का कड़ा विरोध किया है।
इसके अलावा समिति के सदस्य सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ दौरे पर हैं। समिति के अन्य सदस्य हैं रसायन और उर्वरक मंत्री एम. के. अलागिरी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया।
सोमवार को हुई बैठक का मुख्य एजेंडा सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल विपरण कंपनियों द्वारा ईंधन की बिक्री कीमत में 3.5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि करने की अनुमति देना था। इसके अलावा इन कंपनियों द्वारा बेची जा रही रसोई गैस के कारण पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने के बारे में चर्चा की जानी थी।
करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद पेट्रोलियम सचिव एस. सुदर्शन ने कहा, "ईंधन की कीमतों में वृद्धि के बारे में फैसला टल गया है।"
इससे पहले बैठक शुरू होने से पहले पत्रकारों ने जब देवड़ा से पूछा कि ऐसे समय में जब महंगाई सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत बढ़ाना उचित है तो उन्होंने कहा, "ऐसा करना पड़ेगा।"
उन्होंने कहा, "हमें कुछ करना पड़ेगा", वरना तेल के कारोबार में लगीं तीनों प्रमुख कंपनियों का घाटा चालू वित्त वर्ष में90,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में वृद्धि के बावजूद ये कंपनियां ईंधन व रसोई गैस कम कीमत पर बेच रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि वित्त व पेट्रोलियम मंत्रालय दोनों यह मानते हैं कि ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को जारी रखना उपयुक्त नहीं है। ऐसे में मंत्रालय किरीट पारेख समिति की सिफारिशों को अमल में लाना चाहता है। समिति ने परिवहन ईंधन उत्पादों के मूल्यों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त रखने का सुझाव दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।