'फारुख रामायणी' में नजर आता है असली भारत!
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ में रहने वाले फारुख रामायणी पिछले 20 बरस से संगीतमय रामकथा करते आ रहे है। वे अब तक देश के विभिन्न हिस्सों मे 300 से अधिक स्थानों पर रामकथा कर चुके हैं। पांचों वक्त के नमाजी फारुख कहते हैं कि राम तो उनके रोम रोम में बसते हैं। वे रामकथा नोट कमाने के लिए नहीं बल्कि मोक्ष पाने के लिए कहते हैं।
विदिशा के गुलाबगंज में फारुख रामायणी की रामकथा 17 से 21 अप्रैल तक चली। इस रामकथा का लोगों ने खूब रसास्वादन किया और फारुख रामायणी हिंदू धर्मावलंबियों को अपना दीवाना बना गए। मुस्लिम होकर रामकथा कहने के सवाल पर वे कहते हैं कि जब कौवा होकर काकभुसंडजी रामायण का पाठ कर सकते हैं तो वे क्यों नहीं। वे आगे कहते हैं कि रामायण लोगों को जोड़ सकती हैं। उनकी भी यही इच्छा है कि लोग साम्प्रदायिक टकराव को छोड़कर सद्भाव के सूत्र में बंध जाएं।
रामकथा का आयोजन करने वाले राकेश कटारे ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि जब उन्होंने रामकथा के लिए फारुख रामायणी को बुलाने का निर्णय लिया तो उनके मन में भी कई सवाल उठे, मगर कुछ लोगों के परामर्श पर उन्होंने अपने निर्णय को नहीं बदला। वे कहते हैं कि फारुख रामायणी का कथा कहने का अंदाज कुछ इस तरह का है कि प्रकांड पंडित भी उस तरह से दृष्टांत नहीं जोड़ पाते हैं।
पांच दिन चली रामकथा में हर रोज सैकड़ों लोग पहुंचे और उन्होंने रामकथा का भरपूर आनंद उठाया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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