आरबीआई की नई पॉलिसी से बढ़ेगी विकास दर
नई
प्रमुख
दरें
इस
प्रकार
हैं
-
बैंक
दर
:
6
फीसदी
रेपो दर : 5.25 फीसदी
रिवर्स रेपो दर : 3.75 फीसदी
नकद आरक्षित अनुपात : 6 फीसदी
वैधानिक तरलता दर : 25 फीसदी
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क्या
है
रेपो
दर
-
आरबीआई
से
व्यावसायिक
बैंकों
द्वारा
लिए
जाने
वाले
ऋण
पर
लगने
वाले
ब्याज
को
रेपो
दर
कहते
हैं।
रेपो
दर
मे
वृद्धि
से
व्यावसायिक
बैंकों
के
लिए
ऋण
महंगे
हो
जाएंगे।
इसे
पांच
फीसदी
से
बढ़ाकर
5.25
फीसदी
किया
गया
है।
क्या
है
रिवर्स
रेपो
दर
-
व्यावसायिक
बैंकों
से
आरबीआई
द्वारा
लिए
गए
ऋण
पर
दिए
जाने
वाले
ब्याज
को
रिवर्स
रेपो
दर
कहा
जाता
है।
इस
दर
में
वृद्धि
से
बैंकों
के
लिए
आरबीआई
के
पास
धन
जमा
करना
फायदेमंद
होगा
और
इससे
बाजार
में
तरलता
कम
होगी।
रिवर्स
रेपो
की
नई
दर
3.75
फीसदी
होगी।
क्या है सीआरआर - सीआरआर को नकद आरक्षित अनुपात या अंग्रेजी में कैश रिजर्व रेशियो के नाम से जाने जाता है। नकद आरक्षित अनुपात वह धनराशि है जिसे व्यवसायिक बैंकों को आरबीआई के पास रखना होता है। यह किसी भी बैंक के लिए अनिवार्य होता है। इसे बढ़ाने से बाजार में मौजूद मुद्रा प्रवाह मंद हो जाता है। इसे ही मुद्रा का तरलता प्रवाह कम करना कहते हैं।
आरबीआई ने क्यों बदली मौद्रिक नीति - रिजर्व बैंक ने मार्च 2011 तक महंगाई की वार्षिक दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। महंगाई की उच्च दर को देखते हुए व्यवस्था से अतिरिक्त तरलता कम करने के उद्देश्य से मौद्रिक नीति की प्रमुख दरों में वृद्धि की घोषणा की है। सुब्बाराव ने रेपो और रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी की है। इसके अलावा सीआरआर की दर में भी 25 आधार अंकों की बढ़ोंत्तरी की गयी है।
इससे क्या फर्क पड़ेगा - बैंकिंग उद्योग के जानकारों के मुताबिक सीआरआर बढ़ाने से बाजार से 25 हजार करोड़ रुपये की तरलता घटाने में मदद मिलेगी। जाहिर है इससे बैंकों के पास उपलब्ध धन में कमी होगी जिससे बैंकों की लोन दरें महंगी हो सकती हैं। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष के लिए विकास की दर आठ फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पहले बैंक ने इसके 7.2 फीसदी रहने की संभावना जताई थी। विकास दर की चाल बढ़ाने और महंगाई की रफ्तार मंद करने के लिए रिजर्व बैंक ने बाजार की मांग के अनुसार बदलाव किये हैं।