भारतीय फिल्मों से आकर्षित हैं अफगानिस्तानी युवा
रूढ़िवादी अफगानिस्तान में बार और नाइट क्लबों के अभाव में मनोरंजन का एक मात्र साधन भारतीय फिल्में हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक तालिबानियों के शासन से पहले यहां राजधानी में 17 सिनेमाघर थे। आतंकवादियों ने इनमें से ज्यादातर सिनेमाघर ढहा दिए। बचे हुए सिनेमाघरों में ज्यादातर भारतीय और हॉलीवुड की फिल्में दिखाई जाती हैं।
एक होर्डिग के नजदीक एक भारतीय फिल्म का पोस्टर देखते एक किशोर ने बताया कि उसे बॉलीवुड फिल्में देखना पसंद है।
सत्रह वर्षीय अहमद कहते हैं, "मैं भारतीय फिल्मों को बहुत पसंद करता हूं क्योंकि ये फिल्में प्रेम, खूबसूरत दृश्यों और गीतों से भरपूर होती हैं।"
आतंकवाद प्रभावित हेलमंद प्रांत का एक दिहाड़ी मजदूर अहमद कुछ महीने पहले काबुल में नौकरी खोजने के लिए आया था। अहमद ने बताया कि वह दो सप्ताह में एक बार, अक्सर शुक्रवार के दिन सिनेमा देखने जाता है। अफगानिस्तान में शुक्रवार को छुट्टी का दिन होता है।
यद्यपि काबुल के सभी सिनेमाघर युवा और बेरोजगार लोगों से भरे रहते हैं।
चौबीस वर्षीय सिबघातुल्लाह ने कहा, "बिना काम घर बैठे रहने पर मेरे पिता नाराज होते हैं इसलिए सिनेमाघर समय गुजारने की अच्छी जगह हैं।"
यद्यपि सिबघातुल्लाह एक बढ़ई है लेकिन उसे नियमित नौकरी की तलाश है।
तालिबान ने अपने छह वर्ष के शासन काल में सिनेमा, संगीत और यहां तक कि टेलीविजन सहित मनोरंजन के सभी साधनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया था।
वर्ष 2001 में तालिबान का शासन समाप्त हो गया था जिसके बाद एक बार फिर यहां संगीत केंद्रों, टेलीविजन, रेडियो स्टेशनों, समाचार पत्रों और यहां तक कि कुछ हद तक सिनेमा की भी शुरुआत हो गई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।