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मध्‍य प्रदेश में पानी के लिए फिर खून बहा

By Ajay Mohan
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भोपाल। जैसे-जैसे पारा ऊपर बढ़ता जा रहा है, मध्‍य प्रदेश में जल संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार को पानी के लिए हुई एक लड़ाई में हालात इतने खराब हो गए कि खून बहाने की नौबत आ गई। जबकि प्रदेश सरकार ने पिछले सप्‍ताह ही पानी को लेकर राज्‍य में अलर्ट जारी कर दिया था। यही नहीं मात्र एक सप्‍ताह पहले पानी को लेकर हुए झगड़े में किशोरी की मौत भी हो गई थी।

पानी को लेकर होने वाले झगड़ों में खूनी लड़ाईयों की खबरें मध्‍य प्रदेश में आम होती जा रही हैं। एक सप्‍ताह पहले किशोरी की हत्‍या के बाद अब दूसरा मामला प्रकाश में आया। मंगलवार को हुए विवाद में एक व्‍यक्ति ने एक मजदूर को गोली मार दी। फिलहाल मजदूर खतरे से बाहर है।

पढ़ें- जल संकट से जुड़ी खबरें

हुआ यूं कि रतलाम के आलोट थाना क्षेत्र के खदान इलाके में सार्वजनिक नल पर पानी भरने को लेकर मजदूर राम सिंह का मुनीम रामचंद्र प्रजापति से विवाद हो गया। दोनों पहले पानी भरना चाहते थे। विवाद इतना बढ़ गया कि राम सिंह ने तैश में आकर रामचंद्र को गोली मार दी। रामचंत्र को तुरंत अस्‍पताल ले जाया गया, जहां गहन चिकित्‍सा के बाद गोली निकाल दी गई।

पिछले एक सप्ताह ऐसी ही एक घटना इंदौर के बख्शीबाग इलाके में हुई थी, जहां पानी भरने को लेकर होने वाला विवाद इतना बढ़ गया कि हुकुम गौर नामक व्‍यक्ति ने 16 वर्षीय पूनम यादव की चाकू मारकर हत्या कर दी।

पढ़ें- पानी पर झगड़े में तीन की हत्‍या

गौरतलब है कि प्रदेश के बहुत बड़े हिस्से में रोजाना पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। गर्मी की शुरुआत में ही कहीं दो दिन, कहीं तीन दिन और कहीं पांच दिन के अंतराल से लोगों को पानी मिल पा रहा है। प्रदेश के 50 में से 38 जिलों की तहसीलें सूखाग्रस्त हैं। प्रदेश की 14 नगर निगमों में से सात के हालात ठीक नहीं है। यही कारण है कि जब नलों में पानी आता है अथवा टैंकर उनके वार्ड में पहुंचता है तो लोगों के लिए पानी पहली प्राथमिकता बन जाती है। इसके लिए वे कुछ भी करने को आमादा हो जाते हैं। इसी के चलते विवाद, मारपीट और हत्या की घटनाएं आम हो चली हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से पेयजल समस्या से निपटने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। जल आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर राशि मंजूर की जा रही है। उसके बावजूद प्यास नहीं बुझ पा रही है। यही कारण है कि बढ़ती गर्मी के साथ बढ़ते जलसंकट से आपराधिक वारदातें बढ़ने के हालात बन रहे हैं। पिछले साल भी पानी को लेकर झगड़ों की करीब तीन दर्जन वारदातें हुई थीं, जिनमें आधा दर्जन मौतें हुई थीं।

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