राजमार्गो के दौरे पर निकला बीबीसी हिंदी का दल
'हाईवे हिंदुस्तान- रास्ता फ्यूचर का' नामक इस अभियान में 22 मार्च से बीबीसी के पत्रकारों का एक दल देशव्यापी भ्रमण पर निकल चुका है। यह दल दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग पर करीब 2,500 किलोमीटर की यात्रा करेगा।
बीबीसी का दल पता लगाएगा कि निर्माण कार्यो का आम लोगों और समुदायों पर कितना असर पड़ा है। मसलन राजमार्ग के निर्माण के बाद क्या किसान अपने उत्पाद को बड़े बाजारों में पहुंचा रहे हैं? आमतौर पर किसान अपने उत्पादों को बिचौलियों या स्थानीय बाजारों में ही बेच देते हैं।
दल यह भी पता लगाने की कोशिश करेगा कि विभिन्न भाषाओं वाले देश में राजमार्गो की वजह से क्या लोग एक-दूसरे के निकट आ रहे हैं? क्या बेहतर सड़कों के निर्माण से वाहनों की तादात में इजाफा हो रहा है? राजमार्गो से जुड़े गांव क्या एचआईवी प्रभावितों का केंद्र बन रहे हैं ये संभावनाओं के केंद्र बन रहे हैं? राजमार्गो के निर्माण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
बीबीसी हिंदी के प्रमुख अमित बरुआ कहते हैं, "भारत दुनिया की सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है। रोजाना 20 किलोमीटर सड़कों के निर्माण से निश्चित रूप से देश में व्यापक बदलाव आएगा। अपने इस अभियान से हम अपने श्रोताओं और ऑनलाइन जुड़ने वाले लोगों को विश्वसनीय र्पिोटों से रूबरू कराएंगे। इसमें आर्थिक, सामाजिक, पारिस्थितिकी और राजनीतिक दृष्टिकोण से जुड़ी हुई बड़ी खबरें होंगी।"
बीबीसी का दल वाराणसी, गया, धनबाद, सिंगूर (कोलकाता के नजदीक), चेन्नई, बेंगलुरू, हुबली, पुणे और मुंबई में रुकेगा।
दल का दौरे का कार्यक्रम इस प्रकार है
देहरी-ऑन-सोन - 23 से 25 मार्च 2010
धनबाद- 26 से 27 मार्च 2010
चेन्नई- 31 मार्च से दो अप्रैल 2010
बेंगलुरू- तीन से चार अप्रैल 2010
चित्रादुर्गा- पांच अप्रैल 2010
हुबली- छह अप्रैल 2010
कोल्हापुर-सात अप्रैल 2010
पुणे-आठ अप्रैल 2010
मुंबई-नौ से 10 अप्रैल
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।