पुलिस पर भारी पड़ते 'नक्सली'
बिहार के जमुई वासियों के मन में अब पुलिस वालों के लिए गुस्सा और आक्रोश फैला हुआ है। गांव वालों का कहना है कि पुलिस प्रशासन को पहले से हम इस बात की सूचना दे चुके थे कि नक्सली गांव पर हमला कर सकते हैं। इस के बाद भी पुलिस प्रशासन नक्सलियों से हमारी सुरक्षा करने में असमर्थ साबित हुआ। जमुई जिले के सिकंदरा थाना के फुलवरिया गांव के सूरज कुमार का आरोप है कि घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचना दी गई थी लेकिन पुलिस तीन घंटे के बाद आई।
भरोसा टूटा
गौरतलब है कि जमुई गांव के लोग नक्सलियों के खिलाफ थे और उनसे लड़ने में पुलिस वालों की मदद कर रहे थे। लेकिन पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे हुई उस दिन का वारदात के बाद पुलिस ने गांववालों का भरोसा खो दिया है। इस नक्सली हमले में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 12 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
इधर, गांव छोड़ कर जा रहे सदान कोड़ा बताते हैं कि पुलिस को पहले ही ग्रामीणों द्वारा सूचना दी गई थी कि नक्सली इस गांव को निशाना बना सकते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। ग्रामीण अब सरकार से हथियार रखने के लिए लाइसेंस की मांग कर रहे हैं उनका मानना है कि वे अब खुद अपनी सुरक्षा कर लेंगे।
बारूदी सुरंग
इसके विपरीत पुलिस किसी भी चूक से इंकार करती है। राज्य के पुलिस महानिदेशक आनंद शंकर बताते हैं कि पुलिस को गांव में नक्सली हमले की सूचना थी लेकिन फुलवरिया गांव में ऐसा कोई भवन नहीं था जिसमें पुलिस जवानों को सुरक्षित रखा जा सके। इस कारण फुलवरिया गांव के समीपवर्ती गांव में पुलिस जवानों को सुरक्षा के लिए लगाया गया था।
शंकर ने बताया कि गांव में नक्सलियों द्वारा जलाए गए घरों के बाद आग की लपटें उपर उठने लगी तो उसे देखकर पुलिस के जवान घटनास्थल की ओर रवाना हुए लेकिन कच्चे रास्ते में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग बिछा रखा था इसके बाद रास्ते में ही नक्सलियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी थी। पुलिस को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि पुलिस घटनास्थल पर कुछ देर से पहुंची।