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गठबंधन सरकार के दौर के अग्रदूत थे वेंकटरमन (श्रद्धांजलि)

By Staff
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चेन्नई/नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में आर. वेंकटरमन के नाम देश के तीन-तीन प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाने का अनूठा रिकार्ड दर्ज है। उन्हें गठबंधन सरकारों के दौर का अग्रदूत भी माना जाता है।

दोस्तों के बीच आर.वी के नाम से मशहूर वेंकटरमन का राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल 25 जुलाई से 1987 से 25 जुलाई 1992 के बीच रहा। यह दौर देश की राजनीति में चुनौतियों से भरा था। वर्षो बाद इसी दौरान तीन अस्थिर सरकारें बनीं।

इसके अलावा मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर आत्मदाह की घटनाएं, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान हिंसा और 1991 में राजीव गांधी की हत्या इसी समयावधि में हुई।

वेंकटरमन का दिल्ली में सेना के अस्पताल में मंगलवार को निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। चार दिसंबर 1910 को जन्मे वेंकटरमन देश के आठवें राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहे।

वर्ष 1989 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत नहीं हासिल कर सकी हालांकि वह सबसे अधिक सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वेंकटरमन ने उस समय त्रिशंकु संसद होने की स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने की परम्परा की शुरुआत की थी लेकिन राजीव गांधी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी सरकार नहीं बनाएगी। अलबत्ता वेंकटरमन ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को सरकार बनाने का न्योता दिया था।

1990 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गिर गई तो राष्ट्रपति ने सभी पार्टियों के संख्या बल की सूची मंगाकर देखी। संख्या बल के हिसाब से चंद्रशेखर को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने से पहले उन्होंने कांग्रेस, भाजपा और वाम मोर्चा को सरकार बनाने का न्योता दिया था। चंद्रशेखर को आमंत्रित करने से पूर्व सरकार के स्थायित्व के लिए उन्होंने राजीव गांधी से व्यक्तिगत आश्वासन लिया था कि उनकी पार्टी 54 सदस्यीय जनता दल (समाजवादी) को समर्थन करेगी।

1991 में आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या के बाद आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस के पी.वी.नरसिंहराव को उन्होंने शपथ दिलाई।

अपनी पुस्तक 'माई प्रेसिडेंसियल ईयर्स' में वेंकटरमन ने नवंबर 1989 के घटनाक्रम का उल्लेख किया है, "मैंने महसूस किया कि सत्ताधारी पार्टी अगर चुनाव हार जाती है तो उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं करना चाहिए क्योंकि वह जनमत खो चुकी होती है।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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