राजनीतिक दलों को अब नए सहयोगियों की तलाश
नई दिल्ली, 10 दिसम्बर (आईएएनएस)। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आ जाने के बाद दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा चुनावों की तैयारियों में दम-खम से जुट गई है। इसी के मद्देनजर इन दोनों दलों ने अब नए राजनीतिक सहयोगियों को तलाशने की रणनीति को तेज कर दिया है।
इन चुनावों को सभी राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव को सेमीफाइनल मानकर चल रहे थे। इन चुनावों में कांग्रेस को दिल्ली, राजस्थान और मिजोरम में और भाजपा को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सफलता मिली। चुनावी नतीजों से यह संकेत भी मिले हैं कि लोकसभा चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत मिलने नहीं जा रहा है।
चुनावी नतीजों के मद्देनजर भाजपा को तो कम से कम अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, "चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि भावनात्मक मुद्दे चुनावों में नहीं चलने वाले। इसका मतलब है कि हमें अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। उम्मीदवार, शासन और स्थानीय मुद्दे अहम होंगे।"
कांग्रेस सूत्रों का भी मानना है कि बेशक पार्टी ने इन चुनावों में जीत दर्ज की हो लेकिन इससे उसकी कमजोरियां भी उजागर हुई हैं। पार्टी को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। दोनों राज्यों में लोकसभा की 40 सीटें हैं।
मौजूदा राजनीतिक समीकरण में गठबंधन के महत्व को देखते हुए दोनों राजनीतिक दल नए सहयोगियों को साधने की कोशिशें तेज कर दी हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से अलग होकर वामदलों ने पहले ही कांग्रेस को झटका दिया है तो जयललिता ने वामदलों के साथ गठबंधन कर भाजपा को झटका दिया है। बहरहाल, कांग्रेस-भाजपा दोनों ही यह मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनावों में मायावती की भूमिका अहम होगी।
आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु की राजनीति में सिने अभिनेताओं के प्रवेश ने लोकसभा चुनाव के रोमांच को और भी बढ़ा दिया है। चिंरजीवी और विजयकांत के राजनीतिक दलों पर भी कांग्रेस, भाजपा व वामदलों की निगाहें हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।