मलेशिया में योग पर लगने वाले प्रतिबंध को लेकर दुखी हैं मुस्लिम योगाचार्य
कुआलालंपुर, 23 नवंबर (आईएएनएस)। मलेशिया में योग पर भावी प्रतिबंध को लेकर मुस्लिम योगाचार्य दुखी हैं। मलेशिया की राष्ट्रीय फतवा परिषद ने पूरे देश में योग पर प्रतिबंध के लिए फतवा जारी किया है।
परिषद ने शनिवार को घोषणा की थी कि योग इस्लाम में हराम है और मुसलमानों के लिए यह वर्जित है।
योगाचार्यो के अनुसार योग इस्लाम में उनकी आस्था के बीच कहीं नहीं आता। योग कोई धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि मुख्यधारा की जीवन शैली का अंग बन गया है।
योग शिक्षक निनी अहमद ने कहा "मैं मानती हूं कि योग से मेरी आस्था जरा भी प्रभावित नहीं हुई है। योग एक ऐसा शारीरिक अभ्यास है, जो तनाव को दूर करता है और सक्रियता को संतुलित विस्तार देता है।''
निनी ने कहा कि वह पिछले आठ सालों से लोगों को योग सिखा रही हैं, फिर भी इस्लाम में उनकी आस्था अटूट बनी हुई है।
द न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स में रविवार को प्रकाशित फतवा परिषद के अध्यक्ष अब्दुल शकूर हुसैन के बयान में कहा गया है कि देश में कई सारे मुसलमान योग का अंतिम मकसद नहीं समझ पाते।
एक विश्वविद्यालय में अध्यात्म के शिक्षक हुसैन ने पिछले महीने योग पर आपत्ति उठाई थी। उन्होंने कहा था कि योग इस्लामी आस्था को कमजोर कर देता है।
हुसैन के अनुसार इस फतवे के राजपत्रित हो जाने के बाद इसे 13 राज्यों में लागू किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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