राहुल के इंतजार में है बुंदेलखंड का एक गांव
टीकमगढ़, 23 नवंबर (आईएएनएस)। यूं तो चुनाव और नेताओं का चोली दामन का साथ है और एक के साथ ही दूसरा दिखाई देता है लेकिन टीकमगढ़ जिले के बैसां टपरियन गांव के लोग हर रोज एक ही नेता की राह तकते हैं। ये नेता हैं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी।
टीकमगढ़, 23 नवंबर (आईएएनएस)। यूं तो चुनाव और नेताओं का चोली दामन का साथ है और एक के साथ ही दूसरा दिखाई देता है लेकिन टीकमगढ़ जिले के बैसां टपरियन गांव के लोग हर रोज एक ही नेता की राह तकते हैं। ये नेता हैं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी।
आठ माह पहले राहुल ने इस गांव में अचानक आकर एक रात बिताई थी। राहुल जिस व्यक्ति के घर में रुके थे उसके मुखिया घनश्याम की आंखों में राहुल का नाम सुनते ही चमक आ जाती है। वह कहता है "हमारे लिए तो राहुल का आना भगवान के आने के समान था। बड़े-बड़ों को उनके दर्शन नहीं होते और हम तो देर तक पास बैठे रहे।"
घनश्याम ने राहुल को अपनी बेटी कमला की शादी की बात बताई थी तो राहुल ने 20 हजार रुपये की मदद की। बाद में उसे 22 हजार रुपयों के साथ कुछ कपड़े और बर्तन भी मिले। उसने यह सब तो अपनी बिटिया को दे डाला और अब खुद सुदामा बनकर अपने कृष्ण यानी राहुल का इंतजार कर रहा है लेकिन लगता है अब उसके 'कृष्ण' गांव का रास्ता भूल चुके हैं क्योंकि राहुल चुनाव दौरे पर बुंदेलखंड तो आए लेकिन घनश्याम के गांव नहीं पहुंचे।
घनश्याम के घर में जिस खाट पर रात में राहुल सोए थे आज भी वह वैसी ही रखी है। उस पर अब कोई नहीं सोता क्योंकि उनके 'भगवान' राहुल ने इस पर एक रात बिताई थी। पूरा परिवार हर रोज उस खाट को देखकर राहुल की याद कर लेता है। उन्हें उम्मीद है कि राहुल कभी न कभी आकर उनकी तकदीर जरूर बदलेंगे।
राहुल के चले जाने के बाद गांव में एक हैंडपम्प तो लगा लेकिन सड़क, बिजली, स्कूल, रोजगार आदि का सपना बस सपना ही रह गया। घनश्याम से वादा किया था कि उसके चार बेटों में से एक को नौकरी मिलेगी लेकिन अब उसकी अर्जी सुनने वाला कोई नहीं। उसे शायद मालूम नहीं कि 'भगवान' बार-बार दर्शन नहीं देते।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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