कहां से आया चांद? खुलासा करेगा चंद्रयान!
लंदन, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय चंद्रयान के साथ भेजे गए एक कैमरे की डिजाइन बनाने में सहयोग करने वाले एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने आशा जताई है कि चंद्रयान की तस्वीरों से चंद्रमा के बारे में दो सबसे प्रमुख प्रश्नों का उत्तर पाने में सहायता मिलेगी।
एबेरीस्ट्वीथ विश्वविद्यालय के मैनुअल ग्रांड ने 'टाइम्स' समाचार पत्र से कहा कि ये दो सबसे प्रमुख प्रश्न हैं, "चांद कहां से आया? और क्या कभी इस पर मानव जीवन संभव होगा?"
यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के लिए चंद्रमा की सतह की एक्स-रे तस्वीरें खींचने वाले कैमरे के डिजाइन में सहयोग देने वाले ग्रांड ने कहा कि चांद पर अपोलो के उतरने के बाद लोगों का सोचना था कि उनको चंद्रमा के बारे में साफ जानकारी मिलेगी। क्योंकि उन्होंने लोगों को वहां टहलते हुए देखा था।
ग्रांड ने कहा, "लेकिन बाद में परिणामों को विस्तार से देखने के बाद लोगों ने महसूस किया कि चीजों को सही तरीके से समझा नहीं जा सका, जैसे-चांद कहां से आया है या उस पर पानी के अस्तित्व की संभावना के बारे में।"
टाइम्स के अनुसार ग्रांड का कैमरा पूरे चांद की सतह की तस्वीरें लेगा। यह चमक के विश्लेषण के आधार पर छह महत्वपूर्ण धातुओं-लोहा, टिटैनियम, कैल्शियम, मैग्निशियम, सिलिकॉन और एल्युमिनियम की उपस्थिति का पता लगाएगा।
अखबार के अनुसार ग्रांड को उम्मीद है कि चंद्रयान के परिणामों से यह व्याख्या करने में मदद मिलेगी कि चांद अंतरिक्ष से आकर धरती से टकराया या फिर यह धरती का हिस्सा था जो किसी अन्य वस्तु के टकराने से धरती से टूटकर अलग हुआ।
टाइम्स के अनुसार चंद्रयान के परिणाम चांद पर मानव जीवन को जल्दी स्थापित करने में मदद कर सकते हैं। गौरतलब है कि नासा चांद पर एक मानव आधार शिविर स्थापित करने की योजना बना रहा है।
ग्रांड ने कहा कि उनको उम्मीद है कि अधिक से अधिक अगले 20-30 सालों में चांद पर मानव शिविर होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।