चंबल अभ्यारण्य की सुरक्षा के लिए रणनीति पर विचार
भोपाल, 25 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के वन अधिकारियों की ग्वालियर में हुई बैठक में घड़ियाल संरक्षित चंबल अभ्यारण्य की सुरक्षा का मुद्दा अहम रहा। इस महत्वपूर्ण बैठक में अभ्यारण्य की सुरक्षा के लिए एक सामूहिक सुरक्षा योजना को अंतिम रूप देने पर जोर दिया गया।
गौरतलब है कि चंबल अभ्यारण्य लगभग डेढ़ हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसका सबसे बडा हिस्सा 635 वर्ग किलोमीटर राजस्थान में आता है। यह अभ्यारण्य मध्य प्रदेश में 435 और उत्तर प्रदेश में 427 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भी फैला हुआ है। गौरतलब है कि इस अभ्यारण्य में घड़ियाल, मगरमच्छ और रिवर डाल्फिन बड़ी तादाद में हैं।
राज्य के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) डा. पी़ बी़ गंगोपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, "दो चरणों में चली इस बैठक में अभ्यारण्य की सुरक्षा और आगामी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। सुरक्षा के लिहाज से चौकी, बीट गार्ड की संख्या में इजाफा किया जाएगा। साथ ही बीट गार्ड को सशस्त्र बनाया जाएगा और नदी में बोट भी उतारी जाएगी।" इन तीनों राज्यों के वन अधिकारी अभ्यारण्य क्षेत्र में गश्ती बढ़ाने पर भी सहमत हुए।
गौरतलब है कि भिन्ड से इटावा तक बिछाई जा रही रेलवे लाइन का पुल चंबल नदी के ऊपर से निकलना हैं। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देष दिए हैं कि पुल निर्माण में खर्च होने वाली कुल राशि का पांच प्रतिशत हिस्सा चंबल अभ्यारण्य पर व्यय किया जाएगा। गंगोपाध्याय ने कहा कि बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई और एक प्रतिवेदन सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने पर सहमति बनी।
ग्वालियर में हुई इस बैठक में गंगोपाध्याय के अलावा राज्य के मुख्य वन संरक्षक सुभाष कुमार, आऱ बी़ सिन्हा, सी़ एच़ मुरलीकृष्ण, आर. जे. राव, राजस्थान के ए़ सी़ चौबे और उत्तर प्रदेश के सुमन ने हिस्सा लिया। बैठक में विशेषज्ञ के तौर पर मुंबई से असद रहमानी और चेन्नई के रोलोमस विटेकर ने हिस्सा लिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।