रुसी प्रधानमंत्री से गोर्शकोव सौदे पर बात होगी
जुवकोव भारत की पहली यात्रा पर 12 फरवरी को यहां पहुंच रहे हैं. उनके साथ उद्यमियों का दल भी आ रहा है. वह दोनों देशों के बीच बिजनेस फोरम की बैठक में हिस्सा लेंगे तथा भारत में रुसी वर्ष का शुभारंभ करेंगे.
यह मानते हुए कि गोर्शकोव सौदा दोनों देशों के बीच कठिन समस्या है सूत्रों ने कहा कि इस पर उस समय हस्ताक्षर किए गए थे जब रुसी पोत निर्माण उद्योग संरक्षित अर्थव्यवस्था से बाजार अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के कारण खराब हालत में था.
उन्होने कहा कि इस विमान वाहक पोत के लिए तय कीमत कम और अव्यावहारिक थी. इसके अलावा पोत यूक्रेन में बनाया गया था तथा रुसी पोत निर्माताओं के पास यूक्रेन यात्रा के लिए पर्याप्त तकनीकी दस्तावेज नही थे. सूत्रों ने कहा कि समस्या बढती गई और ऐसे हालात बन गए कि हम आपूर्ति की स्थिति में नही रहे, लेकिन उन्होने स्पष्ट किया. रुस ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह नही मोड़ा है.
उल्लेखनीय है कि आई एन एस विराट को बेडे से हटा कर एडमिरल गोर्शकोव को हासिल करने की भारतीय नौसेना की योजना को गत वर्ष झटका लगा जब रुस ने 1.5 अरब डालर की मूल कीमत बढाकर इसे करीब दुगना कर दिया तथा पोत की डिजाइन इत्यादि में फेरबदल के लिए 1.2 अरब डालर की अतिरिक्त मांग रख दी. नौसेना के बेड़े में शामिल होने पर पोत को आई एन एस विक्रमादित्य नाम दिया जाएगा. रक्षा सचिव विजय सिंह सौदे को रास्ते पर लाने के बारे में बातचीत के लिए 19 फरवरी को रुस जा रहे हैं.