अमित शाह के एक फैसले से अर्धसैनिक बलों के 10 लाख से ज्यादा जवानों की बदल जाएगी सूरत
नई दिल्ली- जल्द ही देश के 10 लाख से ज्यादा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान और अफसर की सूरत बदली-बदली नजर आने वाली है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने केंद्रीय बलों की वर्दी, उनकी खान-पान में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर ली है। दरअसल, मोदी सरकार ने तैयारी की है कि अब केंद्रीय बलों के जवानों की वर्दी खादी की हो। जैसे ही गृहमंत्रालय के इस फैसले को अमलीजामा पहनाया जाता है, न सिर्फ खादी ग्रामोद्योग आयोग की आमदनी में भारी इजाफा होगा, बल्कि रोजगार के बहुत बड़े अवसर खुलने की संभावनाएं भी पैदा होंगी। खुद खादी ग्रामोद्योग आयोग के मुताबिक सरकार के इस कदम से उसका टर्नओवर दोगुना हो सकता है।
खादी की वर्दी में दिखने वाले हैं अर्धसैनिक बलों के जवान
केंद्र सरकार ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की वर्दी में बड़े बदलाव का फैसला किया है। खबरों के मुताबिक अब इन केंद्रीय बलों को खादी की वर्दी दी जाएगी, जिसका फैसला खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से लिया गया है। बताया जा रहा है कि गृहमंत्री ने सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों से कहा है कि 'मेक इन इंडिया' प्रोडक्ट को बढ़ावा दें और खादी के उत्पाद का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, जिसमें खादी की वर्दी भी शामिल हैं। गृहमंत्रालय के अधिकारियों की ओर से इस बात की पुष्टि भी की गई है कि सीआरपीएफ,बीएसएफ,एसएसबी,आईटीबीपी,सीआईएसएफ,एनएसजी और असम राइफल्स के 10 लाख से ज्यादा जवान अब खादी से बनी वर्दी का उपयोग करने वाले हैं। फिलहाल ये सभी केंद्रीय बल वर्दी में कॉटन या टेरी-कॉटन और दूसरे कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं।
विशेषताओं और जरूरतों के मुताबिक तैयार होगी वर्दी
अर्थसैनिक बलों की वर्दी में होने वाले इस बदलाव को लेकर सुरक्षा बलों की खादी और ग्रामोद्योग आयोग के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। आयोग को इन सुरक्षा बलों ने कुछ कॉटन और वूलेन यूनिफॉर्म और कंबलों के सैंपल उपलब्ध कराए हैं, जिससे वह उनकी जरूरतों को समझ सकें। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इसपर अंतिम रूप से मुहर लगा दी जाएगी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक सभी केंद्रीय बलों की वर्दियों की अपनी कुछ विशेषताएं और आवश्यकताएं हैं और खादी आयोग से कहा गया है कि सभी सुरक्षा बलों की आवश्यकताओं के मद्देनजर ही कपड़े तैयार करके उपलब्ध कराए। दरअसल, सीमावर्ती इलाकों में तैनात रहने वाले या पेट्रोलिंग के वक्त सुरक्षा बलों को अपने साथ हथियार रखने की भी दरकार होती है, इसलिए तब उनकी जरूरतें बदल जाती हैं। ऐसे ही आईटीबीपी और बीएसएफ की आवश्यकताएं सीआरपीएफ और एसएसबी से अलग हो सकती हैं। लिहाजा, खादी आयोग को इन सब बातों के बारे में बताया जाना जरूरी है।
खादी आयोग की टर्नओवर दोगुना होने की उम्मीद
गौरतलब है कि खादी को मूवमेंट के रूप में आगे बढ़ाने की पैरवी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर-शोर से की है और इस बात में दो राय नहीं कि उनकी वजह से खादी की बिक्री में भारी इजाफा हो चुका है। कई सरकारी और निजी संस्थानों ने अपने इस्तेमाल में खादी को अपनाया भी है। अनुमान के मुताबिक गृहमंत्रालय के इस फैसले के बाद खादी ग्रामोद्योग आयोग को हर केंद्रीय अर्धसैनिक बल की ओर से 150 से 200 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिलने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक अकेले सीमा सुरक्षा बल ने अपने जवानों की वर्दी के लिए 11 लाख मीटर खादी के कपड़े की जरूरत बताई है। खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने ईटी से बातचीत में कहा है कि,'इस फैसले से न सिर्फ खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर दोगुना हो जाएगा जो कि अभी करीब 75,000 करोड़ रुपये है, बल्कि इससे खादी के कारीगरों के लिए लाखों घंटे अतिरिक्त काम के घंटे भी पैदा होंगे, जो हमारे अर्धसैनिक बल के जवानों के लिए लाखों मीटर खादी के कपड़े की बुनाई करेंगे। '
वर्दी ही नहीं खान-पान में भी खादी
सिर्फ वर्दी ही नहीं, गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों के लिए आगे का इंतजाम भी सोचा है। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय बलों से कहा गया है कि वह अपनी कैंटीन में खादी के बाकी उत्पादों को भी बढ़ावा दें। मसलन, खादी के अचार, पापड़, शहद, साबुन और डिटर्जेंट, शैंपू, फिनाइल, चाय और सरसों के तेल जैसी चीजें भी खादी की ही इस्तेमाल करने की कोशिश करें। सक्सेना के मुताबिक, 'गृहमंत्री ने सुरक्षा बलों से ये भी कहा है कि वे अपनी सभी कैंटीन में ग्राम उद्योग के विभिन्न उत्पाद रखें, इससे कारीगरों में निश्चित तौर पर आस्था और विश्वास जगेगा कि उनका सामान अब राष्ट्र के असली रक्षकों के पास पहुंच रहा है।' उन्होंने कहा कि, 'माननीय गृहमंत्री के निर्देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का विजन और प्रतिबद्धता दिखती है कि इस कपड़े में राष्ट्र की झलक मिल सके। '
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