फैक्ट चेक: जानें क्यों स्केच पेन का ऑक्सीजन लेवल दिखा रहा है ऑक्सीमीटर
नई दिल्ली, मई 15: कोरोना की दूसरी लहर के बीच, पल्स ऑक्सीमीटर भारत में एक घरेलू गैजेट बन गया है। कोरोना संक्रमित शख्स की मॉनीटरिंग के लिए ऑक्सीमीटर सबसे अहम उपकरण है। जो मरीज की स्थिति की त्वरित जानकारी देता है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक स्केच पेन के ऑक्सीजन लेवेल को दिखने वाले एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसे लोग ऑक्सीमीटर स्कैम करार दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए इसको यूज़ किया जा रहा है।
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इसे देखिए, एक स्केच पेन की धड़कन और उसका ऑक्सीजन लेवल! मीडिया बेवजह लोगों को डरा रहा है। स्केच पेन में दिल की धड़कन 200 और ऑक्सीजन का स्तर 98 होता है। यह किस तरह का पाखंड है? इससे सावधान रहें। फेसबुक पर शेयर हो रहा है वीडियो एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को कैप्शन के साथ शेयर किया, सावधान रहें, धोखे में न आएं। ऑक्सीमीटर घोटाला: एक बेजान कलम में भी जीवन दिख रहा है। वीडियो को फेसबुक और व्हाट्सएप पर खूब शेयर किया जा रहा है। जानें क्या है सच...
पहले ये जान लेते हैं कि, ऑक्सीमीटर काम कैसे करता है? पल्स ऑक्सीमीटर ऑन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखती है। यह आपकी त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। आपके जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है। बढ़िया ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही ऑक्सीमीटर डिवाइस ऑक्सीजन सैचुरेशन को प्रतिशत में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है।
क्या ऑक्सीमीटर को चकमा देना संभव है?
इसका जवाब है हां। ऑक्सीमीटर एक साधारण उपकरण है, हालांकि यह 100 प्रतिशत सटीक नहीं है, लेकिन यह आपको आपके खून में ऑक्सीजन की मात्रा के बारे में एक अनुमान दे सकता है। नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर इशान गुप्ता ने बताया, अगर ऑक्सीमीटर में पेन या ऐसी कोई वस्तु डाली जाती है और इसका फोटो सेंसर लाइट का पता लगाने में सक्षम होता है, तो यह कुछ रीडिंग दिखा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ऑक्सीमीटर में कोई गलती है। लोजपा नेता चिराग पासवान हुए कोरोना संक्रमित, घर पर हो रहा इलाज
यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा सच नहीं है। ऐसा कोई फैक्ट नहीं मिला, जिससे साबित हो कि ऑक्सीमीटर गलत रीडिंग बता रहा है। ये कभी-कभी पेन जैसे वस्तु डालने पर रीडिंग दिखा सकता है क्योंकि डिटेक्टर पर गिरने वाली लाइट की अलग-अलग तीव्रता पल्सेटिंग इफेक्ट पैदा कर सकती है, जिससे ऑक्सीमीटर पर रीडिंग दिखाई देती है। इससे साफ है कि वायरल वीडियो भ्रामक है और अधूरा सच दिखा रहा है।
Fact Check
दावा
ऑक्सीमीटर एक ऐसा घोटाला है जो पेन जैसी निर्जीव वस्तुओं में भी ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाता है।
नतीजा
अगर ऑक्सीमीटर में पेन या ऐसी कोई वस्तु डाली जाती है और इसका फोटो सेंसर लाइट का पता लगाने में सक्षम होता है, तो यह कुछ रीडिंग दिखा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ऑक्सीमीटर में कोई गलती है।