उत्तराखंड कांग्रेस में चुनाव से पहले बदल रहे समीकरण, हरीश रावत के सामने अब किशोर और प्रीतम सिंह
उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत के सामने अब किशोर और प्रीतम सिंह
देहरादून, 23 सितंबर। पंजाब में कांग्रेस के अंदर की कलह खत्म करने के बाद हरीश रावत अब उत्तराखंड की राजनीति पर चुनाव तक पूरा फोकस करना चाहते हैं। लेकिन उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत के लिए अब पहले जैसे समीकरण नहीं रहे हैं। हरीश रावत के सामने अब नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय चुनौती बनते जा रहे हैं। चुनाव से पहले किशोर उपाध्याय की सक्रियता हरीश रावत के लिए आने वाले समय में चेलेंज खड़ा कर सकता है।
2017
चुनाव
के
बाद
बदले
चेहरे
2017
विधानसभा
चुनाव
में
हार
के
बाद
कांग्रेस
के
अंदर
सारे
समीकरण
बदल
गए
थे।
2017
चुनाव
तक
कांग्रेस
के
प्रदेश
अध्यक्ष
रहे
किशोर
उपाध्याय
पर
हार
का
सारा
ठीकरा
फोड़
दिया
गया।
हरीश
रावत
केन्द्र
की
राजनीति
करने
लगे
तो
उत्तराखंड
में
कांग्रेस
संगठन
की
जिम्मेदारी
प्रीतम
सिंह
को
मिली।
नेता
प्रतिपक्ष
की
जिम्मेदारी
डॉ
इंदिरा
ह्दयेश
को
सौंपी
गई।
विधानसभा
चुनाव
की
आहट
शुरू
हुई
तो
हरीश
रावत
खेमा
सक्रिय
होकर
अपने
करीबियों
को
संगठन
में
महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी
सौंपने
की
मांग
करने
लगा।
इस
बीच
डॉ
इंदिरा
का
अकस्मात
निधन
हो
गया।
प्रीतम
सिंह
को
नेता
प्रतिपक्ष
की
भूमिका
संभालनी
पड़ी,
और
हरीश
रावत
के
करीबी
गणेश
गोदियाल
को
कांग्रेस
संगठन
की
अहम
जिम्मेदारी
मिल
गई।
इन
परिस्थितियों
से
पहले
प्रीतम
हरीश
रावत
के
करीबी
रहे,
लेकिन
प्रदेश
अध्यक्ष
की
कुर्सी
जाते
ही
प्रीतम
हरीश
के
गुट
से
अलग
हो
गए।
अब
प्रीतम
और
किशोर
हरीश
रावत
के
खिलाफ
मोर्चा
खोल
रहे
हैं।
किशोर
बोले,
2017
की
हार
की
समीक्षा
हो
चुनाव
से
पहले
कांग्रेस
के
पूर्व
प्रदेश
अध्यक्ष
किशोर
उपाध्याय
ने
एक
बार
फिर
2017
चुनाव
का
जिक्र
किया
है।
हरीश
रावत
का
नाम
लिए
बिना
किशोर
ने
हरीश
रावत
को
घेरते
हुए
कहा
कि
वर्ष
2017
का
चुनाव
हम
क्यों
हारे,
आज
तक
इसकी
समीक्षा
नहीं
हुई
है।
उन्होंने
कहा
कि
अब
जब
2022
का
चुनाव
सामने
है
तो
उसकी
विवेचना
होनी
चाहिए।
मैं
तो
सीधा-साधा
आदमी
हूं,
उस
हार
का
ठिकरा
मेरे
सिर
फोड़
दिया
गया।
बता
दें
कि
2017
में
कांग्रेस
का
बड़ा
चेहरा
हरीश
रावत
ही
थे।
जो
कि
दो-दो
जगह
से
विधानसभा
चुनाव
लड़े
और
दोनों
जगह
से
हार
गए।
जबकि
वे
चुनाव
से
पहले
सीएम
भी
थे।
हरीश
के
सामने
प्रीतम
और
किशोर
2017
के
विधानसभा
चुनाव
तक
कांग्रेस
में
हरीश
रावत,
किशोर
उपाध्याय
और
प्रीतम
सिंह
एक
ही
गुट
में
माने
जाते
रहे
हैं।
लेकिन
2022
से
पहले
तीनों
अलग-अलग
राह
पर
हैं।
हरीश
रावत
के
खिलाफ
जिस
तरह
से
किशोर
उपाध्याय
और
प्रीतम
सिंह
एक
सुर
में
हमला
कर
रहे
हैं।
उससे
कांग्रेस
के
अंदर
तेजी
से
समीकरण
बदलते
हुए
नजर
आ
रहे
हैं।
हरीश
के
विराेध
में
हैं
प्रीतम
प्रीतम
सिंह
पहले
ही
हरीश
रावत
के
दलित
के
उत्तराखंड
के
सीएम
बनने
की
इच्छा
पर
हरीश
रावत
को
घेरने
लगे
हैं।
प्रीतम
ने
हरीश
रावत
से
पूछा
कि
2002
में
बनना
चाहिए
था,
2012
और
2013
में
भी
बनना
चाहिए
था।
इतना
ही
नहीं
प्रीतम
ने
शायराना
अंदाज
में
पूछा
कि
बहुत
देर
कर
दी
हुजूर
आते-आते।
राजनीति
के
जानकार
इसको
प्रीतम
के
हरीश
रावत
पर
तंज
मान
रहे
हैं।
हरीश
रावत
और
प्रीतम
में
कांग्रेस
की
सरकार
आने
पर
सीएम
के
लिए
दो
बड़े
चेहरे
माने
जा
रहे
हैं।
ऐसे
में
हरीश
रावत
के
दलित
चेहरे
पर
दांव
खेलने
से
प्रीतम
इस
बात
को
समझ
चुके
हैं
कि
हरीश
रावत
अपना
दूसरा
विकल्प
पार्टी
के
अंदर
दलित
चेहरे
को
दे
रहे
हैं।