Mantra Effect: जानिए कब और क्यों नहीं होता मंत्र जप का असर
नई दिल्ली। आपने अक्सर कई लोगों को यह कहते सुना होगा कि इतने लाख मंत्र जाप किए लेकिन कोई प्रभाव नहीं हुआ। मंत्र जप करने के बाद भी समस्या बनी हुई है। मंत्रों का प्रभाव नहीं होने के अनेक कारण हैं। कोई भी मंत्र तभी असर करता है, जब सही समय, सही मात्रा और सही उच्चारण के साथ उसका जाप किया जाए। इसके साथ ही प्रत्येक मंत्र किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा रहता है। इसलिए जाप के लिए माला उसी देवता से संबंधित लेना चाहिए। मंत्र जाप के समय माला को किस अंगुली या अंगूठे से आगे बढ़ाया जाए यह भी महत्वपूर्ण है।
आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातें...
माला जाप का क्या है सही नियम
मंत्र जाप में माला सबसे महत्वपूर्ण होती है। माला जपते समय अंगुलियां परस्पर मिली रहें। अंगुलियों के बीच में छिद्र या झिर्री न रहे। माला में एक सुमेरू होता है जहां से माला प्रारंभ होती है और घूमकर वापस आकर उसी जगह समाप्त होती है। माला जपते समय सुमेरू को नहीं उलांघना चाहिए। एक माला पूर्ण हो जाने के बाद उसी जगह से उल्टी दिशा में जाप शुरू कर देना चाहिए। जिस हाथ में माल है वह हाथ हृदय के समीप हो और कपड़े से ढंका हुआ हो। माला जाप के लिए थैली आती है उसका प्रयोग कर सकते हैं। जप की गणना करने के लिए अक्षत, कोई भी अनाज, चंदन, मिट्टी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ें: Sawan 2018: सावन में नवग्रहों की शांति के लिए कैसे करें अभिषेक?
जप के लिए कौन सी अंगुली का प्रयोग करें
माला जप में अंगुली का ध्यान रखा जाना भी आवश्यक है। प्रत्येक अंगुली से जप का अलग-अलग प्रयोजन होता है। शांति, पुष्टि, स्तंभन, वशीकरण मंत्रों का जाप कर रहे हैं तो माला को तर्जनी के मध्य में रखकर अंगूठे के अग्रभाग से चलाएं। आकर्षण, कार्यों के लिए अंगूठे व अनामिका के सहयोग से माला फेरनी चाहिए। विद्वेषण, में अंगूठे व तर्जनी तथा मारण कार्यों के लिए अंगूठे व कनिष्ठिका अंगुली से माला चलाना चाहिए।
मिश्रित पदार्थों वाली माला से जाप नहीं करना चाहिए
मंत्र जाप के लिए प्रयुक्त की जा रही माला सावधानीपूर्वक चुनना चाहिए। किसी भी प्रकार का मंत्र जप करते समय माला वही चुनें जो एक ही प्रकार के पदार्थ से बनी हो। मिश्रित पदार्थों वाली माला से जाप नहीं करना चाहिए। जैसे कई बार स्फटिक के साथ रूद्राक्ष के दाने डली हुई माला भी हाती है। ऐसे माला वर्जित है। माला में 108 दाने पूरे हों और एक सुमेरू हो। दाने टूटे, क्रेक ना हो। सभी दानों की आकार-प्रकार एक समान होना चाहिए।
यह भी पढ़ें: Diamonds: जानिए हीरा कब और क्यों धारण करना चाहिए?