पितृ पक्ष में कैसे किया जाता है तर्पण, क्या है इसका महत्व?
लखनऊ। श्राद्ध पक्ष में अपने भावों की श्रद्धा को अपने पूर्वजों को अर्पित किया जाता है। अपने पूर्वजों को आप प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा पूर्वक ब्रहाम्णों को भोजन कराकर यथा शक्ति दान करते है। ऐसा करने से आपके पूर्वज आपको सुख व समृद्धि के सहित आशीर्वाद देते है।
पितृ पक्ष 2017: इस बार 15 नहीं 14 दिन के रहेंगे श्राद्ध
श्राद्ध पक्ष में तर्पण करना बहुत ही आवश्यक होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पन्द्रह दिन नित्य तर्पण करना चाहिए।
तर्पण-प्रत्येक दिन मध्यान्ह 12 बजे से 1:30 मिनट के मध्य तर्पण करना उत्तम रहेगा...
तर्पण विधि
पीतल की थाली में विशुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़े काले तिल व दूध डालकर अपने समक्ष रख लें एंव उसके आगे दूसरा खाली पात्र रख लें। तर्पण करते समय दोनों हाथ के अंगूठे और तर्जनी के मध्य कुश लेकर अंजली बना लें अर्थात दोनों हाथों को परस्पर मिलाकर उस मृत प्राणी का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरा हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें। एक-2 व्यक्ति के लिए कम से कम तीन-तीन अंजली तर्पण करना उत्तम रहता है।
'ऊॅत्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्
इस मन्त्र की 2 माला जाप करने के पश्चात पूजन स्थान पर रखें हुये जल के थोड़े भाग को ऑखों में लगायें, थोड़ा जल घर में छिड़क दें और बचे हुये जल को पीपल के पेड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मक उर्जा निकल जायेगी और घर की लगभग हर प्रकार की समस्या से आप मुक्त हो जायेंगे।
कैसे जाने आप पितृ दोष से पीड़ित
- यदि आपके सन्तान नहीं हो रही है या फिर सन्तान आपका कहना नहीं मानती है और उसका विकास बाधित है तो आप पितृ दोष से पीडि़त है।
- आये दिन परिवार में कलह का वातावरण बना रहता है या घर में उदासी बनी रहती है तो भी आप पितृ दोष के शिकार है।
- बेवजह मन में उदासी छाई रहती हो या रात को उलझन बैचनी रहती हो।
- निरन्तर आर्थिक हानि बनी रहती हो और हर कार्य में बाधा आती हो।
- भाई-भाई में और भाई बहन में या पिता-पुत्र हमेशा टकराव की स्थिति बनी रहती हो तो समझों की आपकी कुण्डली में पितृदोष अवश्य है। आपको बता दें कि 7 सितम्बर से 20 सितम्बर तक इस वर्ष पितृ पक्ष रहेंगे।
रात को उलझन बैचनी
7 सितम्बर से 20 सितम्बर तक